तेलंगाना में कल्याणी के चालुक्य युग के तीन दुर्लभ कन्नड़ अभिलेख मिले | Current Affairs | Vision IAS
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तेलंगाना में कल्याणी के चालुक्य युग के तीन दुर्लभ कन्नड़ अभिलेख मिले

Posted 19 Feb 2025

8 min read

ये अभिलेख 1129 ई., 1130 ई., और 1132 ई. के हैं, जब कल्याणी के चालुक्य वंश के सम्राट सोमेश्वर-III भूलोकमल्लदेव का शासन था।

  • प्रथम शिलालेख में बिज्जेश्वर मंदिर के निर्माण और स्थानीय ग्राम प्रधान द्वारा दिए गए दान का विवरण मिलता है।
  • दूसरे और तीसरे अभिलेख में मंदिर को दिए गए दान का उल्लेख है।

कल्याणी के चालुक्य (या उत्तरवर्ती/ पश्चिमी चालुक्य) राजवंश के बारे में

  • उत्तरवर्ती चालुक्यों को बादामी के चालुक्यों का वंशज माना जाता है। तैल द्वितीय, प्रथम शासक था। उसने 992 ई. में राजराजा चोल को हराया था।
  • इन शासकों ने 973-1180 ई. तक दक्कन क्षेत्र पर शासन किया था। इनकी राजधानी कल्याणी (वर्तमान में बीदर, कर्नाटक) थी।

कला और संस्कृति

  • स्थापत्यकला:
    • प्रमुख मंदिर: लक्कुंडी में काशी विश्वेश्वर मंदिर, कुरुवत्ति में मल्लिकार्जुन मंदिर, बगली में कल्लेश्वर मंदिर और इटागी में महादेव मंदिर।
    • सीढ़ीदार कुएं: कल्याणी के चालुक्य अलंकृत सीढ़ीदार कुओं (पुष्करणी) के लिए भी जाने जाते हैं। ये कुंए आनुष्ठानिक स्नान स्थल के रूप में उपयोग किए जाते थे। उदाहरण के लिए- लक्कुंडी में मणिकेश्वर मंदिर।
  • साहित्य:
    • इस अवधि के दौरान संस्कृत और कन्नड़ साहित्य का विकास हुआ।
    • इस अवधि के दौरान कन्नड़ के साहित्यिक दिग्गजों में पंप, रन्न, दुर्गसिंह, नागवर्मा आदि शामिल थे।
  • धर्म:
    • इस दौरान शैववाद के विभिन्न संप्रदाय प्रचलित थे, जैसे पाशुपत, लकुलीश और कालमुख।
    • इस काल में बसवन्ना के नेतृत्व में एक नए सामाजिक और धार्मिक आंदोलन का उदय भी हुआ था।
  • Tags :
  • चालुक्य युग
  • कन्नड़ अभिलेख
  • कल्याणी के चालुक्य
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