इस इंडेक्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित कार्यस्थलों के लिए भारतीय स्नातकों की रोजगार क्षमता का आकलन किया गया है।
इंडेक्स के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- भारतीय स्नातकों की समग्र रोजगार क्षमता: रोजगार क्षमता 2023 की 44.3% से घटकर 2024 में 42.6% रह गई थी। यह गिरावट विशेष रूप से मानव संसाधन, डिजिटल मार्केटिंग जैसी गैर-तकनीकी क्षमताओं की कमी के कारण दर्ज की गई है।
- हालांकि, भारतीय स्नातकों ने AI जैसी तकनीकी क्षमता वाली नौकरियों में सबसे अधिक रोजगार-योग्य क्षमता प्रदर्शित की है।
- लैंगिक असमानता: 43.4% पुरुष स्नातक रोजगार योग्य हैं, जबकि महिला स्नातकों के लिए यह अनुपात 41.7% है।
- कॉलेज के आधार पर रोजगार क्षमता: टियर-1 कॉलेजों के स्नातकों की रोजगार प्राप्ति क्षमता सबसे अधिक है।
- सॉफ्ट स्किल्स में रोजगार-क्षमता: 50% भारतीय स्नातक भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional intelligence), रचनात्मकता जैसी सॉफ्ट स्किल्स में कुशल हैं।
भारतीय स्नातकों की कम रोजगार क्षमता के लिए जिम्मेदार कारक
- शिक्षा प्रणाली की खामियां: भारतीय कॉलेज विद्यार्थी व्यावहारिक कौशल विकास की तुलना में सैद्धांतिक ज्ञान पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
- AI द्वारा नौकरियों में बदलाव: ऑटोमेशन नौकरी की भूमिकाओं को बदल रहा है। इससे निरंतर अपस्किलिंग की आवश्यकता बढ़ रही है।
- 28% नियोक्ताओं का मानना है कि प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए 2025 तक उनके एक तिहाई कर्मचारियों के तकनीकी कौशल में महत्वपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता होगी।
- सॉफ्ट स्किल्स की कमी: शैक्षिक कार्यक्रमों में संचार, टीमवर्क और क्रिटिकल थिंकिंग जैसी आवश्यक कार्यस्थल क्षमताएं शामिल नहीं की जाती हैं।
भारत में रोजगार क्षमता बढ़ाने से संबंधित पहलें
- कौशल विकास: प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना आदि चलाई जा रही हैं।
- महिलाओं की रोजगार-क्षमता: स्टैंड अप इंडिया, वुमन इन साइंस एंड इंजीनियरिंग- किरण (WISE-KIRAN) जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
