गौरतलब है कि भाषाई विविधता को निम्नलिखित दो प्रकार से समझा जा सकता है:
- देश में भाषाओं की कुल संख्या और
- देश की आबादी में किसी एक भाषा को बोलने वालों का प्रतिशत।
भारत में भाषाई विविधता

- स्थिति: 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 99 से अधिक गैर-अनुसूचित भाषाएं, 22 अनुसूचित भाषाएं और 121 अन्य भाषाएं हैं।
- पीपल्स लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया (2010) ने भारत में बोली जाने वाली 780 भाषाओं की पहचान की है। इनमें से 50 भाषाएं पिछले पांच दशकों में विलुप्त हो चुकी हैं।
- भाषा परिवार: भारतीय भाषाएं मुख्य रूप से अग्रलिखित भाषा-परिवारों से संबंधित हैं- इंडो-आर्यन, द्रविड़, ऑस्ट्रो-एशियाई, तिब्बती-बर्मी आदि।
भारत में भाषाई विविधता को बढ़ावा देने वाले संवैधानिक प्रावधान
- आठवीं अनुसूची: इसमें 22 अनुसूचित भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है।
- अनुच्छेद 29: यह अनुच्छेद नागरिकों के किसी भी वर्ग की भाषा, लिपि और संस्कृति की सुरक्षा करता है।
- अनुच्छेद 350-B: इसमें भाषाई अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
भारत में भाषाई विविधता बढ़ाने के लिए उठाए गए कुछ कदम
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: यह कम-से-कम कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या स्थानीय भाषा रखने का प्रावधान करती है।
- साहित्य अकादमी: यह संस्था पुरस्कार, प्रकाशन और अनुसंधान के माध्यम से भारतीय भाषाओं को समर्थन व संरक्षण प्रदान करती है।
- प्रौद्योगिकी संबंधी पहल: "भाषिणी" और अन्य AI-आधारित अनुवाद टूल्स; डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर क्षेत्रीय भाषाओं का समर्थन जैसी पहलें आरंभ की गई हैं।
- शास्त्रीय भाषाएं: ऐतिहासिक महत्त्व और भाषाई योगदान के आधार पर किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाता है।
- समिति: भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए 2021 में "भारतीय भाषा समिति" नामक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया था।