भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने ‘रेजिंग द स्टैंडर्ड: क्वालिटी ट्रांसफॉर्मेशन इन इंडियन मैन्युफैक्चरिंग’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में नियमों का पालन करने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए विनिर्माण कार्यों में निरंतर सुधार करने और सक्रिय होकर गुणवत्ता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र:
- अधिकांश कंपनियों (लगभग 77%) ने पिछले दशक में गुणवत्ता सुधार पर बेहतर काम किया है।
- गुणवत्ता पर बल देते हुए इसे बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण:
- नियमों का पालन,
- ब्रांड का नाम रोशन करना और ग्राहकों का विश्वास जीतना,
- प्रतिस्पर्धी दबाव, और
- तकनीकी प्रगति।
- राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों में अंतर: कुछ क्षेत्रों, विशेष रूप से तकनीकी एवं पूंजीगत वस्तुओं में विशिष्ट राष्ट्रीय मानकों की कमी है। यह विनिर्माण क्षेत्रक में नियामक ढांचे की अस्पष्टता और असंगति को दर्शाता है।
भारतीय विनिर्माण में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए रणनीतिक सिफारिशें
- नीतिगत एजेंडा:
- गुणवत्ता-केंद्रित कौशल और प्रमाणन कार्यक्रम: श्रमिकों को सूक्ष्म समझ, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुपालन का प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है।
- ‘क्वालिटी एज ए सर्विस (QaaS)’ साझेदारी: साझा गुणवत्ता अवसंरचना और विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए ‘क्वालिटी एज ए सर्विस’ मॉडल पर आधारित एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) पहल शुरू की जानी चाहिए।
- उद्योग एजेंडा:
- नेतृत्व और प्रबंधन के लिए सतत गुणवत्ता सुधार प्रशिक्षण: वरिष्ठ और मध्यम स्तर के प्रबंधन कर्मियों को निरंतर गुणवत्ता सुधार (CQI) और एडवांस गुणवत्ता मेट्रिक्स आदि में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
- डिजिटल आपूर्तिकर्ता गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली: यह प्रणाली रियल टाइम में डेटा और इनसाइट्स प्रदान करती है, जिससे आपूर्तिकर्ताओं के प्रदर्शन की प्रभावी निगरानी संभव होती है। इससे गुणवत्ता संबंधी समस्याओं का जल्दी पता लगाया जा सकता है और उन्हें तुरंत ठीक किया जा सकता है।
भारत में गुणवत्तापूर्ण विनिर्माण सुनिश्चित करने के लिए की गई पहलें
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