यह पहल घड़ियाल संरक्षण में राज्य के अग्रणी प्रयास को पुष्ट करती है, क्योंकि मध्य प्रदेश में भारत के 80% से अधिक घड़ियाल पाए जाते हैं।
घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस) के बारे में
- घड़ियाल भारतीय उपमहाद्वीप की स्थानिक प्रजाति है, जिसकी थूथन लंबी होती है।
- घड़ियाल का नाम 'घड़ा' शब्द से लिया गया है। घड़ा एक भारतीय शब्द है, जिसका इस्तेमाल एक बर्तन के लिए किया जाता है। यह नाम उसके थूथन के अंत में एक बल्बनुमा नॉब की मौजूदगी के कारण दिया गया है।
- संरक्षण स्थिति:
- यह IUCN के तहत क्रिटिकली एंडेंजर्ड के रूप में सूचीबद्ध है।
यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I और CITES के परिशिष्ट-I में शामिल है।
- पर्यावास: रेतीले किनारों वाली ताजे पानी की नदियां।
- ऐतिहासिक प्राकृतिक प्रसार: भारत, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान में सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं महानदी-ब्राह्मणी-वैतरणी नदी प्रणाली में।
- वर्तमान प्राकृतिक प्रसार: ये मुख्य रूप से चंबल, गिरवा आदि (भारत), और राप्ती-नारायणी (नेपाल) नदियों में पाए जाते हैं। साथ ही, इनकी कुछ आबादी केन, यमुना, ब्रह्मपुत्र, घाघरा और भागीरथी-हुगली नदियां में भी पाई जाती है।
खतरे:
- कृषि और औद्योगिक विस्तार के साथ-साथ प्लास्टिक प्रदूषण के कारण पर्यावास का विनाश।
- मछली पकड़ने के उपकरण में उलझना और डूब कर मर जाना।
- अन्य परभक्षियों द्वारा इनके अंडों को खाना; त्वचा और मांस तथा शरीर के अंगों का चिकित्सा में उपयोग के लिए अवैध शिकार आदि।
संरक्षण प्रयास:
- कैप्टिव ब्रीडिंग और पुनर्वास: इसमें देवरी घड़ियाल प्रजनन केंद्र (मध्य प्रदेश) और कुकरैल पुनर्वास केंद्र (लखनऊ) शामिल हैं। बिहार में गंडक नदी घड़ियालों के लिए एक सफल प्रजनन स्थल रही है।
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य: घड़ियालों का सबसे बड़ा पर्यावास।
- प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल को 1975 में शुरू किया गया था।
