मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संशोधित वक्फ विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सुझावों को भी शामिल किया गया है।
- इससे पहले, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और JPC की रिपोर्ट के आधार पर 2013 में वक्फ कानून में संशोधन किए गए थे।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के बारे में
- उद्देश्य: वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन द्वारा वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना।
- विधेयक के मुख्य प्रावधान:
- वक्फ प्रबंधन को समावेशी बनाना: मुस्लिम महिलाओं और मुस्लिम OBCs को केंद्रीय वक्फ परिषद एवं राज्य वक्फ बोर्ड में शामिल करके वक्फ प्रबंधन को समावेशी बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
- केंद्रीय वक्फ परिषद: यह एक वैधानिक संस्था है और इसकी स्थापना 1964 में हुई थी। यह परिषद भारत में राज्य-स्तरीय वक्फ बोर्डों की निगरानी करता है और सलाह देता है। यह स्वयं वक्फ संपत्तियों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं रखता है।
- राज्य वक्फ बोर्ड: इसे वक्फ संपत्तियों के रखरखाव और प्रशासन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- अधिकरणों के आदेशों के खिलाफ अपील: वक्फ के किसी मामले पर अधिकरणों के आदेशों के खिलाफ 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
- अन्य प्रावधान:
- वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया गया है।
- अघाखानी और बोहरा समुदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्डों के गठन का प्रस्ताव किया गया है, आदि।
- वक्फ प्रबंधन को समावेशी बनाना: मुस्लिम महिलाओं और मुस्लिम OBCs को केंद्रीय वक्फ परिषद एवं राज्य वक्फ बोर्ड में शामिल करके वक्फ प्रबंधन को समावेशी बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

'वक्फ' क्या है?
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