यह फोरम 2009 में शुरू हुआ था। इसका उद्देश्य एशिया व प्रशांत क्षेत्र में संधारणीय अपशिष्ट प्रबंधन, संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देना है।
- वर्ष 2013 में, फोरम ने हनोई 3R घोषणा-पत्र (2013-2023) को अपनाया था। इसमें अधिक संसाधन-कुशल और चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए 33 स्वैच्छिक लक्ष्यों की रूपरेखा तय की गई थी।
इस फोरम से जुड़े मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- जयपुर 3R और चक्रीय अर्थव्यवस्था घोषणा-पत्र (2025-2034): इसका उद्देश्य संसाधन कुशल, स्वच्छ, सक्षम, बेहतर पुनर्चक्रण और निम्न-कार्बन उत्सर्जन करने वाला समाज सुनिश्चित करना है।
- सिटीज़ कोलिशन फॉर सर्कुलैरिटी (C-3): इसे ज्ञान साझाकरण और निजी क्षेत्रक की साझेदारी को बढ़वा देते हुए शहर-दर-शहर सहयोग के लिए एक बहुराष्ट्रीय गठबंधन के रूप में शुरू किया गया है।
- इस गठबंधन या कोलिशन की संरचना और परिचालन संबंधी फ्रेमवर्क को अंतिम रूप देने के लिए सदस्य देशों द्वारा एक कार्य समूह के गठन का भी प्रस्ताव किया गया है।
- सिटीज़ 2.0 के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर: सिटी इन्वेस्टमेंट्स टू इनोवेट इंट्रीगेट एंड सस्टैन (सिटीज/ CITIIS) 2.0 भारत के स्मार्ट सिटीज मिशन का एक उप-घटक है।
- यह शहरी स्तर पर एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं के माध्यम से चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।
चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) के बारे में
यह उत्पादन और उपभोग का एक मॉडल है। इसमें मौजूदा सामग्री और उत्पादों को जितना संभव हो सके साझा करना, पट्टे पर देना, पुनः उपयोग करना, मरम्मत करना, नवीनीकरण करना और पुनर्चक्रण करना शामिल है।
- यह पारंपरिक रेखीय आर्थिक मॉडल से अलग है, जो कि लो-बनाओ-उपभोग करो-फेंक दो पैटर्न पर आधारित है।
- भारत की पहलें: इसमें स्वच्छ भारत मिशन, गोबर-धन योजना, ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2022, मिशन लाइफ आदि शामिल हैं।
