असम ने वैधानिक स्वायत्त परिषदों से जुड़े कानून में संशोधन किया | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

असम ने वैधानिक स्वायत्त परिषदों से जुड़े कानून में संशोधन किया

Posted 07 Mar 2025

12 min read

असम विधान सभा ने एक विधेयक पारित किया है। इसमें उपबंध किया गया है कि यदि किसी वैधानिक स्वायत्त परिषद ने विस्तारित तय समय पर भी चुनाव आयोजित नहीं किए, तो राज्यपाल संबंधित वैधानिक परिषद का नियंत्रण अपने हाथों में ले सकता है।

  • इस उपबंध का प्रभाव मिसिंग, थेंगल कचारी, देवरी, सोनोवाल कचारी, राभा हसोंग और तिवा स्वायत्त परिषदों पर पड़ेगा।
  • संशोधन में प्रावधान किया गया है कि यदि किसी स्वायत्त परिषद का कार्यकाल पूरा हो जाता है और चुनाव समय पर नहीं हो पाते, तो सरकार एक साल तक (दो बार छह-छह महीने के लिए) विस्तार दे सकती है। यदि इस एक साल के अंदर भी चुनाव नहीं होते, तो राज्यपाल उस स्वायत्त परिषद का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकता है। 

जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन 

  • वैधानिक स्वायत्त परिषदें
    • स्वायत्त परिषदों का गठन राज्य विधान-मंडल द्वारा निर्मित अधिनियमों के माध्यम से राज्यों द्वारा किया जाता है।
      • वर्तमान में मणिपुर में भी 6 स्वायत्त परिषदें हैं।
    • उद्देश्य: जनजातीय समुदायों का सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, नृजातीय और सांस्कृतिक विकास करना।
    • असम की स्वायत्त परिषद के अधिकार: इनका 34 विषयों (जैसे- कुटीर उद्योग, भूमि, शिक्षा आदि) पर कार्यकारी नियंत्रण है।
  • संवैधानिक स्वायत्त परिषदें
    • संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244) के तहत असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में स्वायत्त जिला परिषदें (ADCs) स्थापित की गई हैं।
      • यदि किसी स्वायत्त जिले में एक से अधिक जनजातियां निवास करती हैं, तो राज्यपाल नया स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर सकता है और संबंधित स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद का गठन कर सकता है।
      • वर्तमान में असम में तीन स्वायत्त जिला परिषदें हैं:
        • बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद, 
        • दीमा हसाओ, और 
        • कार्बी आंगलोंग।  
    • संरचना: अधिकतम 30 सदस्य होते हैं। इनमें से 4 राज्यपाल द्वारा मनोनीत होते हैं तथा शेष निर्वाचित होते हैं।
      • अपवाद: बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद में 46 सदस्य हो सकते हैं।
    • कार्यकाल: 5 वर्ष।
    • ​​शक्तियां: इनके पास विधायी, कार्यकारी, न्यायिक और वित्तीय शक्तियां होती हैं।
    • राज्यपाल की शक्तियां: राज्यपाल नए स्वायत्त जिलों का गठन कर सकता है तथा उनमें संशोधन कर सकता है।
    • कुल स्वायत्त जिला परिषदों की संख्या: चार राज्यों (असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा) में कुल 10 संवैधानिक स्वायत्त जिला परिषदें (ADCs) हैं।
  • Tags :
  • स्वायत्त परिषदें
  • अनुच्छेद 244
  • संविधान की छठी अनुसूची
Watch News Today
Subscribe for Premium Features