वर्ष 1995 में 189 देशों (भारत सहित) ने 'बीजिंग प्लेटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन (BPfA)' नामक ऐतिहासिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। इस दस्तावेज़ में लैंगिक समानता को बढ़ाने के लिए 12 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई थी। इस रिपोर्ट में BPfA के संदर्भ में हुई वैश्विक प्रगति की समीक्षा की गई है।

- BPfA को महिलाओं पर संयुक्त राष्ट्र के चौथे वैश्विक सम्मेलन में अपनाया गया था।
रिपोर्ट में उजागर की गई महिलाओं के समक्ष प्रमुख चुनौतियां
- आर्थिक असमानता: महिलाएं पुरुषों की तुलना में 20% कम कमाती हैं तथा उन्हें असुरक्षित प्रकृति की एवं अवैतनिक नौकरियों में भी कार्य करना पड़ता है। महिलाओं के लिए चरम गरीबी को समाप्त करने में 137 साल लगेंगे।
- हिंसा और सुरक्षा: 3 में से 1 महिला को शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है। 53% महिलाएं ऑनलाइन लैंगिक-आधारित दुर्व्यवहार का सामना करती हैं। 2024 में 25% देशों ने महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ नकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी।
- राजनीतिक अपवर्जन: विश्व में केवल 87 ऐसे देश हैं, जिनका नेतृत्व महिला राजनीतिज्ञों द्वारा किया जा रहा है। 27% संसदीय सीटें एवं 36% स्थानीय निकायों की सीटें, महिलाओं के पास हैं।
- जलवायु संकट: 2050 तक, 236 मिलियन महिलाओं को जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है।
- लैंगिक रूप से उत्तरदायी नीतियां: 54% देश लैंगिक समानता को हासिल करने के लिए खर्च किये जा रहे वित्तीय संसाधनों को ट्रैक करते हैं। इसके अलावा, केवल 26% देश सतत विकास लक्ष्य (SDG) संबंधी मानकों को पूरा करते हैं।
आगे की राह: बीजिंग+30 एक्शन एजेंडा
‘यू.एन.-वीमेन बीजिंग+30 एक्शन एजेंडा’ लैंगिक समानता के लिए 6+1 ("+1" इन प्रयासों में युवा समावेशन पर जोर देता है) मुख्य कार्यवाही पर केंद्रित है:
- डिजिटल लैंगिक अंतराल को समाप्त करना;
- महिला केंद्रित सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देना;
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना;
- महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देना;
- शांति, सुरक्षा और मानवीय कार्रवाई में जवाबदेही सुनिश्चित करना; तथा
- जलवायु न्याय को बढ़ावा देना।