इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (NIF) के समर्थन से 25 से अधिक ग्रासरूट स्टार्ट-अप्स और सैकड़ों उद्यम सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। इनमें से कुछ उद्यमों का वार्षिक टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से अधिक है, जो ग्रासरूट इनोवेशन की प्रभावशीलता को दर्शाता है।

नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (NIF) के बारे में
- इसकी स्थापना वर्ष 2000 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सहयोग से हुई थी।
- यह ग्रासरूट इनोवेशन और पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देता है।
- NIF का प्रमुख उद्देश्य नीतियों और संस्थानों के माध्यम से ग्रासरूट इनोवेटर्स को समर्थन देना है, जिससे एक क्रिएटिव और ज्ञान-आधारित समाज का निर्माण हो सके।
ग्रासरूट इनोवेशन क्या है?
- परिभाषा: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के अनुसार, ग्रासरूट इनोवेशन नागरिक समाज के सदस्यों द्वारा सीमित संसाधनों से विकसित किए गए स्थानीय समाधान हैं। इनका उद्देश्य स्थानीय समस्याओं का समाधान करना होता है। कई बार ये इनोवेशन सतत विकास में भी सहायक होते हैं।
- आदि-मानव भी ग्रासरूट इनोवेटर्स थे।
- ग्रासरूट इनोवेशन की मुख्य विशेषताएं:
- बॉटम-अप अप्रोच: ये इनोवेशन औपचारिक बाजारों से दूर, स्थानीय स्तर पर विकसित होते हैं।
- सामाजिक उद्देश्यों से प्रेरित: ये इनोवेशन समुदाय की जरूरतों पर केंद्रित होते हैं और मुनाफे से अधिक सामाजिक समस्याओं के समाधान पर ध्यान देते हैं।
- ये सामाजिक अन्याय और पर्यावरण को नुकसान जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। ये ऐसे विषय हैं जिन्हें प्रमुखता से नहीं उठाया जाता है।
- क्रिएटिव और समावेशी: ग्रासरूट इनोवेटर्स स्थानीय समुदायों के सहयोग से इनोवेशन को बढ़ावा देते हैं और स्थानीय ज्ञान साझा करने पर जोर देते हैं।
- ग्रासरूट इनोवेशन के उदाहरण: हनी बी नेटवर्क (भारत), टेक्नोलॉजीज फॉर सोशल इंक्लूजन मूवमेंट (लैटिन अमेरिका), आदि।
ग्रासरूट इनोवेशन को बढ़ावा देने में आने वाली प्रमुख चुनौतियां
- मुख्य हितधारकों के साथ सहयोग की कमी देखी जाती है।
- संसाधन जुटाने में कठिनाई आती है।
- विकास करते हुए विस्तार करना कठिन होता है।
- इनोवेशन या स्टार्ट-अप समूह की प्रगति बनाए रखने और विकसित करने में गवर्नेंस और लर्निंग जैसी चुनौतियां आती रहती हैं।
ग्रासरूट इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक कदम
- राष्ट्रीय ग्रासरूट इनोवेशन नीति बनाने की आवश्यकता है।
- सरकारी अनुदान बढ़ाना चाहिए और नियमों को सरल बनाना चाहिए।
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) उपलब्ध करानी चाहिए तथा उद्यमिता शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए।