इस रिपोर्ट में जल क्षेत्रक में सरकार की प्रमुख पहलों और उनके समक्ष विद्यमान चुनौतियों को रेखांकित किया गया है। साथ ही, इन पहलों को प्रभावी बनाने के लिए सिफारिशें भी की गई हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- निधि का बेहतर ढंग से उपयोग न करना: 2024-25 के लिए आवंटित बजट का केवल 60% ही तीन तिमाहियों के अंत तक उपयोग किया गया था।
- जल क्षेत्रक में मौजूद चुनौतियां: प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में कमी, गुणवत्ता में गिरावट, भू-जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन तथा जल के उपयोग से संबंधित सुविधाओं की तुलनात्मक रूप से कम दक्षता।
- सिफारिश: इन चुनौतियों के समाधान के लिए राष्ट्रीय जल नीति में संशोधन करना चाहिए और उसका बेहतर तरीके से कार्यान्वयन करना चाहिए।
- नमामि गंगे मिशन-II: नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों की गुणवत्ता, कार्यान्वयन एवं निगरानी के लिए जिलों के सांसदों/ विधायकों की एक समिति गठित की जानी चाहिए।
- बांध सुरक्षा: बांध सुरक्षा पर राज्य समितियों (SCDSs) और राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (SDSOs) में कर्मचारियों की कमी के कारण बांध सुरक्षा अधिनियम का कार्यान्वयन प्रभावित हो रहा है।
- सिफारिश: राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (NDSA) के तहत निकायों/ संगठनों में स्थानीय जन-प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए।
- वर्षा जल संचयन: राष्ट्रीय जल मिशन (NWM) से राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को कोई समर्पित वित्तीय सहायता नहीं मिलती है।
- बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (FMBAP): आवंटित निधि का कम उपयोग FMBAP के कार्यान्वयन में बाधा डालता है। इसके अलावा, सीमा-पार नदियों से जुड़े मुद्दे (जैसे कि जल प्रबंधन एवं बांधों का संचालन) कई बार बाढ़ का कारण बनते हैं।
- सिफारिश: जल शक्ति मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को एक स्वतंत्र पहल के रूप में सीमा-पार बाढ़ प्रबंधन का कार्यान्वयन करना चाहिए।