WHO के नए दिशा-निर्देशों ने इसके 2004 के मानसिक स्वास्थ्य नीति फ्रेमवर्क और सेवा दिशा-निर्देश पैकेज की जगह ली है। नवीन दिशा-निर्देश राष्ट्रों को मानसिक स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- इसमें इस पर जोर दिया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (U H C) के मुख्य घटक के रूप में एकीकृत किया जाना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य के बारे में
- परिभाषा: WHO के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य बेहतर मानसिक स्वास्थ्य या मनोदशा से है। यह लोगों को जीवन के तनावों से निपटने, अपनी क्षमताओं को पहचानने, अच्छी तरह सीखने और काम करने तथा अपने समुदाय में योगदान करने में सक्षम बनाती है।
- भारत में स्थिति: राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NMHS), 2015-16 के अनुसार भारत में 10.6% वयस्क मानसिक विकारों से पीड़ित हैं।
मानसिक स्वास्थ्य नीतियों में सुधार की आवश्यकता

- वैश्विक प्रतिबद्धता:
- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन (CRPD): यह मनोवैज्ञानिक दिव्यांगता सहित दिव्यांगता के सभी रूपों के खिलाफ भेदभाव को प्रतिबंधित करता है।
- W H O की व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना 2013-2030: इसके तहत 80% समर्थन देने वाले देशों से 2030 तक उनकी मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय नीतियों को अपडेट और कार्यान्वित करने का आह्वान किया गया है।
- देखभाल तक सीमित पहुंच: कुछ देशों में गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों वाले 90% लोगों को कोई देखभाल सुविधा नहीं मिलती है।
- वित्त एवं संसाधनों का खराब आवंटन:
- मानसिक स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय बहुत कम है, जो वैश्विक औसत सरकारी स्वास्थ्य बजट का केवल 2% है।
- अक्सर समुदाय-आधारित देखभाल की बजाय पुरानी संस्थाओं पर धन खर्च किया जाता है।
- समावेशन की कमी: CRPD की मूल भावना के विपरीत, मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे लोगों को लंबे समय से व्यक्तिगत और सामाजिक निर्णयों से बाहर रखा गया है।