'एमिनेंट डोमेन' का सिद्धांत | Current Affairs | Vision IAS
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    Posted 27 Mar 2025

    42 min read

    'एमिनेंट डोमेन' का सिद्धांत

    सुप्रीम कोर्ट ने DAMB बनाम भगवान देवी केस, 2025 में अपने फैसले में यह कहा कि एमिनेंट डोमेन के तहत सरकार ने किसी सार्वजनिक कार्य के लिए जमीन अधिग्रहित की है, तो बाद में कोई निजी समझौता करके या किसी और के दावे से उस जमीन को वापस नहीं लिया जा सकता।

    • 'एमिनेंट डोमेन' सिद्धांत के तहत, सरकार किसी भी निजी भूमि को सार्वजनिक उपयोग के लिए अधिग्रहित कर सकती है, बशर्ते उस भूमि का उचित मुआवजा दिया गया हो। 

    मामले की पृष्ठभूमि

    • 1963: दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड (DAMB) ने अनाज मंडी स्थापित करने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया। 
    • 1986: भगवान देवी को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत मुआवजा दिया गया।
      • बाद में भगवान देवी ने भूमि के कुछ हिस्से पर अपना दावा किया तथा उसका कुछ हिस्सा वापस प्राप्त करने के लिए DAMB के साथ एक निजी समझौता किया।
      • सुप्रीम कोर्ट ने इस समझौते को रद्द कर दिया।

    नोट: भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 को “भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013” द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

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    • DAMB बनाम भगवान देवी केस

    युवा (YuWaah)

    ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) युवा ने भारत भर में ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए एक आशय पत्र (Statement of Intent: SOI) पर हस्ताक्षर किए।

    (यूनिसेफ) युवा/YuWaah, 2019 के बारे में

    • यह एक प्लेटफॉर्म है, जहां विशेष रूप से भारतीय युवाओं द्वारा युवा-केंद्रित कार्य सह-निर्मित किए जाते हैं। ये युवा अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आते हैं।
    • उद्देश्य: महिलाओं और हाशिए पर रहे समूहों पर विशेष ध्यान देते हुए युवाओं के लिए कौशल निर्माण तथा सामाजिक-आर्थिक एवं रूपांतरणकारी अवसरों का सृजन करना।
      • इससे भारत के 350 मिलियन युवाओं की क्षमता को साकार किया  जाएगा।
    • यह नवोन्मेषी समाधान संभव करने, सीखने से लेकर आय अर्जन करने तक के लिए बदलाव के रास्ते तैयार करने और युवाओं के नेतृत्व में जलवायु कार्रवाई करने के लिए सार्वजनिक-निजी-युवा साझेदारी को बढ़ावा देता है।
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    राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद

    NCEVT ने योग्यता प्रमाण-पत्र आदि प्रदान करने वाली संस्था (ड्यूल कैटेगरी) के रूप में राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD) को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी है।

    • अब, NISD शिक्षार्थियों को योग्यता प्रमाण-पत्र आदि दे सकता है तथा उनका मूल्यांकन और उन्हें प्रमाणित भी कर सकता है।
    • NISD केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है। यह सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण और अनुसंधान संबंधी नोडल संस्थान है।

    राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET) के बारे में

    • उत्पत्ति: इसे 2018 में स्थापित किया गया था। NCVET तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण (TVET) क्षेत्रक के लिए विनियामक निकाय है।
    • मंत्रालय: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE)।
    • मुख्य कार्य:
    • योग्यता प्रमाण-पत्र आदि प्रदान करने वाली संस्थाओं (ABs), आकलन करने वाली एजेंसियों (AAs) और कौशल-संबंधी सूचना प्रदाताओं को मान्यता देना एवं विनियमन करना। 
    • राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) के आधार पर योग्यताओं का अनुमोदन करना।
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    यूक्लिड टेलीस्कोप

    यूक्लिड टेलीस्कोप ने 26 मिलियन आकाशगंगाओं के हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली इमेज कैप्चर की।

    यूक्लिड टेलीस्कोप (2023) के बारे में

    • नाम: इसका नाम प्राचीन ग्रीक गणितज्ञ एलेक्जेंड्रिया के यूक्लिड के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने ज्यामिति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
    • अंतरिक्ष एजेंसी: यूक्लिड एक पूर्णतः यूरोपीय मिशन है। इसका निर्माण और संचालन नासा के योगदान से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा किया जा रहा है।
    • आकार: इसका व्यास 1.2-मीटर है।
    • उद्देश्य:
      • यूक्लिड पिछले 10 अरब वर्षों में ब्रह्मांड के विकास का अध्ययन करेगा तथा यह जानकारी देगा कि ब्रह्मांड का विस्तार और संरचनाओं का निर्माण कैसे हुआ। साथ ही, यह डार्क एनर्जी, डार्क मैटर और गुरुत्वाकर्षण के संबंध में भी जानकारी प्रदान करेगा।
      • यह 10 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित अरबों आकाशगंगाओं का अवलोकन करके 3D मानचित्र तैयार करेगा।
    • कक्षा: यह पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर मौजूद लैग्रेंज पॉइंट-2 (L-2) पर स्थापित है।
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    • यूक्लिड टेलीस्कोप

    GSAT-18 संचार उपग्रह

    GSAT-18 उपग्रह पर लगे छह ट्रांसपोंडर्स 2027 तक अप्रयुक्त रहेंगे। इस तथ्य के मद्देनजर लोक लेखा समिति ने इस उपग्रह से जुड़ी अनावश्यक लागत पर चिंता जताई है।

    GSAT-18 के बारे में

    • प्रक्षेपण: इसे 2016 में फ्रेंच गुयाना से एरियन-5 VA-231 द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
    • कक्षा: इसे पहले भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (GTO) में स्थापित किया गया था, बाद में इसे भू-स्थिर कक्षा में स्थापित किया गया।
    • ट्रांसपोंडर्स: तीन आवृत्ति बैंडों में कुल 48:-
      • नार्मल C-बैंड;
      • अपर एक्सटेंडेड C-बैंड; तथा 
      • Ku-बैंड। 
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    • GSAT-18
    • भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा

    टी-800 कार्बन फाइबर

    लोक लेखा समिति ने टी-800 कार्बन फाइबर परियोजना के समय से पहले बंद होने की सूचना दी।

    • विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने 2006 में आयात प्रतिस्थापन के लिए राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (NAL) के साथ एक समझौता (MoU) ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। इस परियोजना के लिए NAL का चयन इसलिए किया गया था, क्योंकि उसके पास T-300 फाइबर बनाने का अनुभव था।
      • हालांकि, देरी के कारण 2019 में यह परियोजना बंद कर दी गई थी।

    T-800 कार्बन फाइबर के बारे में 

    • यह प्रक्षेपण यानों, अंतरिक्ष यानों के टैंक्स और गगनयान मिशन के लिए बेहद जरूरी है।
      • कार्बन फाइबर (ग्रेफाइट फाइबर), पतले कार्बन तंतुओं (5-10 माइक्रोन मोटे) से बना होता है।
        • यह हल्का होने के साथ-साथ बहुत मजबूत भी होता है तथा इसकी तन्यता (Tensile) क्षमता भी उच्च होती है।
    • स्वदेशीकरण की आवश्यकता: दोहरे उपयोग (सैन्य व असैन्य) की संभावना और भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण इसका स्वदेशी उत्पादन महत्वपूर्ण है।
    • प्रमुख आपूर्तिकर्ता: टोरे (जापान), फॉर्मोसा (ताइवान), ह्योसुंग (दक्षिण कोरिया), और हेक्ससेल (संयुक्त राज्य अमेरिका)।
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    • टी-800 कार्बन फाइबर
    • राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला

    मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग

    भारत ने अपनी पहली स्वदेशी 1.5 टेस्ला मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) मशीन विकसित की। 

    • इसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में स्थापित किया जाएगा।
    • इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity), उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (C-DAC) आदि की साझेदारी से विकसित किया गया है।
    • कार्यान्वयन एजेंसी: सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (SAMEER/ समीर), मुंबई।

    MRI के बारे में

    • यह एक नॉन-इनवेसिव मेडिकल इमेजिंग परीक्षण है। इसका इस्तेमाल शरीर के कोमल ऊतकों को देखने के लिए किया जाता है।
    • इसमें बड़े चुंबक और रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है। एक्स-रे के विपरीत, MRI टेस्ट के दौरान कोई आयनकारी विकिरण उत्पन्न नहीं होता है।
    • MRI स्कैन से प्राप्त छवियों में अंग, हड्डियां, मांसपेशियां और रक्त वाहिकाएं स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।
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    • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग
    • एम्स
    • C-DAC

    एबेल पुरस्कार

    जापानी गणितज्ञ मसाकी काशीवारा (78) को 2025 के एबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार को अक्सर "गणित का नोबेल" कहा जाता है।

    • यह पुरस्कार उन्हें बीजगणितीय विश्लेषण, रिप्रजेंटेशन थ्योरी, डी-मॉड्यूल्स और क्रिस्टल बेसिस में उनके कार्यों के लिए दिया गया है।

    एबेल पुरस्कार के बारे में

    • यह पुरस्कार हर साल गणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
    • इसका नाम नॉर्वेजियन गणितज्ञ नील्स हेनरिक एबेल (1802-1829) के नाम पर रखा गया है।
      • एबेल ने सामान्य पंचम समीकरण को मूलांकों की मदद से हल करने की असंभवता को सिद्ध किया था।
      • वे दीर्घवृत्तीय फलनों (एबेलियन फलनों) के क्षेत्र में भी अग्रणी थे।
    • यह पुरस्कार नॉर्वे सरकार द्वारा 2002 में स्थापित किया गया था।
    • इसे नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर्स द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
    • प्रथम विजेता: जीन-पियरे सेरे (2003)।
    • पुरस्कार राशि: 7.5 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोनर (720,000 डॉलर) और एक कांच की पट्टिका दी जाती है।

    नोट: अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ ने यूनेस्को के सहयोग से वर्ष 2000 को विश्व गणितीय वर्ष घोषित किया था।

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    • एबेल पुरस्कार
    • मसाकी काशीवारा
    • नील्स हेनरिक एबेल
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