IUCN द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि कृषि और शहरी क्षेत्रों के तेजी से विकास ने कवक के पर्यावासों को नष्ट कर दिया है। इसके कारण 279 कवक प्रजातियों के समक्ष विलुप्त होने का जोखिम उत्पन्न हो गया है।
इस प्रेस विज्ञप्ति में बताए गए मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- जोखिम: सूची में शामिल कवक प्रजातियों की संख्या 1,300 तक पहुंच गई है। इनमें से कम-से-कम 411 विलुप्त होने की कगार पर हैं।
- जलवायु परिवर्तन: संयुक्त राज्य अमेरिका में वनाग्नि संबंधी पैटर्न ने 50 से अधिक कवक प्रजातियों को खतरे में डाल दिया है। उदाहरण के लिए- संयुक्त राज्य अमेरिका के सिएरा नेवादा के वनों में अब देवदार के वृक्षों का प्रभुत्व है।
- प्रदूषण: खेती में उपयोग किये जाने वाले उर्वरकों में मौजूद अमोनिया के कारण 91 कवक प्रजातियां खतरे में हैं।
- पर्यावास की क्षति: पर्यावास की क्षति और शहरी विस्तार के कारण 279 कवक प्रजातियां खतरे में हैं।
कवक (Fungi) के बारे में
- कवक एक प्रकार का यूकेरियोटिक सजीव है, अर्थात् इनकी कोशिकाओं में झिल्ली से घिरे अंगक और नाभिक या केंद्रक होते हैं।
- यद्यपि पहले इन्हें वनस्पति जगत के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया था, फिर भी इनमें महत्वपूर्ण अंतर है, इसका कारण यह है कि:
- क्लोरोफिल: इनमें क्लोरोफिल नहीं होता है।
- कोशिका संरचना: कवक कोशिका भित्ति में काइटिन होता है, जबकि पादप कोशिका भित्ति में सेलुलोज होता है।
- पोषक तत्वों का अवशोषण: कवक बाह्य रूप से कार्बनिक पदार्थ को पचाते हैं और फिर उसे अवशोषित करते हैं, जबकि पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।
- लाइकेन सहजीविता (Lichen Mutualism): लाइकेन कवक और एक कोशिकीय शैवाल या सायनोबैक्टीरिया से बने मिश्रित सजीव होते हैं।
- पारिस्थितिकी-तंत्र में कवक की भूमिका: कवक कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करते हैं, पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण करते हैं, तथा पादपों के साथ सहजीवी अस्तित्व बनाते हैं।
- जर्मनी के वैज्ञानिकों ने ऐसे कवक की पहचान की है, जो सिंथेटिक प्लास्टिक को नष्ट या अपघटित कर सकता है।
- कवक के अन्य लाभ:
- खाद्य उद्योग में किण्वन, बेकिंग आदि में उपयोग किया जाता है।
- कुछ प्रजातियों में ऐसे रसायन होते हैं, जिन्हें निकालकर स्टैटिन नामक दवा बनाने में उपयोग किया जाता है। यह दवा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करती है।