वाणिज्य मंत्री ने भारत में फूड डिलीवरी, क्विक-कॉमर्स ऐप्स जैसे उपभोक्ता-आधारित स्टार्ट-अप्स की वृद्धि की सराहना की, लेकिन इस तथ्य पर भी चिंता जताई कि देश में डीप-टेक स्टार्ट-अप्स में नवाचार की गंभीर कमी है।
- डीप-टेक स्टार्ट-अप्स वास्तव में अधिक जोखिम वाले और लंबी अवधि में लाभकारी होने वाले वेंचर्स होते हैं। साथ ही, ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), ब्लॉकचेन जैसी नई तकनीकों का उपयोग जटिल समस्याओं के अनूठे समाधान हेतु करते हैं।
- डीप-टेक स्टार्ट-अप्स के उदाहरण हैं- स्काईरूट एयरोस्पेस, सर्वम AI आदि।

भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम की मुख्य समस्याएं
- वित्त-पोषण की कमी: स्टार्ट-अप्स को सरकारी और निजी स्रोतों से कम पूंजी निवेश प्राप्त होता है। साथ ही, निवेशक जोखिम लेने से भी डरते हैं। इससे जटिल समस्याओं के समाधान पर कार्य करने वाले स्टार्ट-अप्स को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- तकनीकी क्षेत्र में 2014-2024 के दौरान भारत में कुल निवेश 160 बिलियन डॉलर रहा, जबकि इसी अवधि में चीन में 845 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ।
- भारत में वेंचर कैपिटल निवेश ‘पेशेंस कैपिटल’ की जगह ‘त्वरित लाभ’ के लिए किया जाता है।
- पेशेंस कैपिटल से आशय है लंबी अवधि के लिए निवेश करना।
- शिक्षा और अनुसंधान अवसंरचना की कमी:
- भारत में शिक्षा और अनुसंधान अवसंरचना उच्च स्तर की नहीं है। साथ ही, शिक्षण संस्थानों और उद्योग जगत के बीच तालमेल की कमी है। इससे उद्योगों को जरूरी कुशल कार्यबल नहीं मिल पाता है।
- दूसरी ओर अधिक तकनीकी विशेषज्ञ भारत से पलायन भी कर जाते हैं। इन सभी वजहों से भारत में डीप-टेक स्टार्ट-अप्स इकोसिस्टम पिछड़ गया है।
- गवर्नेंस व्यवस्था: नीतियों में बार-बार परिवर्तन तथा अधिक नियम-कानून की वजह से व्यवसाय संचालन मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए-
- बैंकों से ऋण लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है,
- कर प्रणाली जटिल है,
- कच्चे माल के आयात में समस्याओं का सामना करना पड़ता है,
- मंजूरी प्राप्त करने में लालफीताशाही और भ्रष्टाचार व्याप्त है।
आगे की राह
- नीतियों में सुधार:
- स्टार्ट-अप्स को प्रोटोटाइप के परीक्षण के लिए अनुदान एवं रेगुलेटरी सैंडबॉक्स उपलब्ध कराया जाना चाहिए;
- इनके उत्पादों को व्यावसायिक बनाने के लिए लॉजिस्टिक्स सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए;
- डीप-टेक पर केंद्रित कौशल विकास कार्यक्रम को बढ़ावा देना चाहिए आदि।
- निवेश के रूप में प्रोत्साहन:
- डीप-टेक इनोवेशन फंड की स्थापना करनी चाहिए;
- वेंचर कैपिटल के साथ संयुक्त-निवेश कार्यक्रम को बढ़ावा देना चाहिए।
- शिक्षा सुधार: अकादमिक संस्थानों व स्टार्ट-अप्स के बीच मजबूत तालमेल के जरिए उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिए।