इस रिपोर्ट में व्यापार के संबंध में तनाव और नीतिगत अनिश्चितता की स्थिति के चलते वैश्विक संवृद्धि दर पूर्वानुमान को जनवरी 2025 के अपडेट से घटाकर 2.8% कर दिया गया है। इसे भारत के लिए 6.2% अनुमानित किया गया है। साथ ही, श्रम बल में वृद्ध हो रहे लोगों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए स्वस्थ एजिंग (आयुर्वृद्धि) सुनिश्चित करने के पक्ष में नीतियां बनाने की सिफारिश भी की गई है।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं में तीव्र वृद्धि: घटती जन्म दर और बढ़ती जीवन प्रत्याशा के कारण देश अपने जनसांख्यिकीय के महत्वपूर्ण मोड़ से गुजर रहे हैं। इसके तहत डेमोग्राफिक डिविडेंड से डेमोग्राफिक ड्रैग की ओर संक्रमण हो रहा है।
- दुनिया की जनसंख्या की औसत आयु 2020 से लेकर इस सदी के अंत तक 11 साल बढ़ने का अनुमान है।
- स्वस्थ एजिंग: दीर्घायु में वृद्धि के साथ-साथ, वृद्ध हो रहे लोगों की कार्यात्मक क्षमता में भी समय के साथ सुधार हुआ है।
- वर्ष 2022 में 70 साल के व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमता वर्ष 2000 में 53 साल के व्यक्ति के समान थी।
स्वस्थ एजिंग के लाभ
- वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि: स्वस्थ एजिंग से 2025-50 तक वैश्विक औसत सकल घरेलू उत्पाद में 0.4% की वृद्धि होने का अनुमान है।
- इसमें भारत का योगदान सबसे अधिक होगा, क्योंकि 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के श्रमिकों की हिस्सेदारी 2025-50 की अवधि में तेजी से बढ़ेगी।
- श्रम बल भागीदारी पर प्रभाव: लक्षित स्वास्थ्य नीतियां वृद्ध श्रमिकों को अपनी श्रम बल भागीदारी दर बढ़ाने में सक्षम बनाती हैं।
स्वस्थ एजिंग सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत सिफारिशें
- समग्र दृष्टिकोण: सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए पेंशन संबंधी सुधार, प्रशिक्षण, कार्यस्थल को अनुकूल बनाना और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने वाले हस्तक्षेपों को लागू किया जाना चाहिए।
- श्रम बल भागीदारी अंतराल को कम करना: जनसांख्यिकीय संबंधी बाधाओं से निपटने के लिए बेहतर कार्य-जीवन संतुलन, किफायती बाल देखभाल सुविधा आदि के माध्यम से श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए।