इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क
क्वाड के सदस्य देशों ने हवाई द्वीप के होनोलूलू में इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क सिमुलेशन पूरा किया।
- क्वाड के सदस्य हैं- ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका।
इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क (IPLN) के बारे में
- यह पहल क्वाड देशों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा लॉजिस्टिक क्षमताओं का उपयोग करने में सक्षम बनाती है। इससे प्राकृतिक आपदाओं के समय नागरिक सहायता तेजी से और प्रभावी तरीके से प्रदान की जा सकेगी।
- यह नेटवर्क इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप फॉर मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस के साथ मिलकर, एक स्वतंत्र और मुक्त हिन्द-प्रशांत सुनिश्चित करने की क्वाड की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साथ ही, यह क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए व्यावहारिक सहयोग को सशक्त करने के महत्त्व को भी रेखांकित करता है।
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- इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप फॉर मैरीटाइम
अवनालिका अपरदन
एक हालिया अध्ययन में 19 राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अवनालिका अपरदन से बनी स्थलाकृतियों को रेखांकित किया गया।

- भारत में अवनालिका अपरदन से प्रभावित 92% क्षेत्र राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात और छत्तीसगढ़ में हैं। इन राज्यों का कुल क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का 38% है।
अवनालिका अपरदन के बारे में
- तेजी से बहता हुआ जल मृदा में कटाव करती हुई वाहिकाएं (चैनल) बनाता है, जिन्हें अवनालिकाएँ कहते हैं। इनका विस्तार होता रहता है।
- इसके प्रभावों में शामिल हैं- भूमि, वनस्पतियों और फसलों को सीधा नुकसान पहुंचना; जलग्रहण क्षेत्र (वाटरशेड एरिया) के जल-अपवाह में परिवर्तन, भू-निम्नीकरण और मरुस्थलीकरण।
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- अवनालिका अपरदन
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भारत का जलवायु वित्त-पोषण वर्गीकरण ड्राफ्ट फ्रेमवर्क
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने "भारत का जलवायु वित्त-पोषण वर्गीकरण” का ड्राफ्ट फ्रेमवर्क जारी करके जनता से सुझाव मांगे हैं।
भारत के जलवायु वित्त-पोषण वर्गीकरण के बारे में
- यह वर्गीकरण एक प्रकार का उपाय या साधन है। यह उन गतिविधियों की पहचान करने में मदद करेगा, जो भारत के जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा उद्योग जगत और अर्थव्यवस्था को जलवायु अनुकूल बनाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
- मुख्य उद्देश्य:
- जलवायु परिवर्तन शमन (Mitigation), अनुकूलन (Adaptation) और ट्रांजीशन में सहायता के जरिए पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों एवं गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु संसाधनों की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाना।
- ग्रीनवॉशिंग यानी पर्यावरण अनुकूल होने के झूठे या भ्रामक दावों को रोकना।
- आधारभूत सिद्धांत (8 सिद्धांतों पर आधारित):
- जलवायु कार्रवाई पर भारत की घोषित स्थिति और विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप;
- ट्रांजीशन यानी जलवायु अनुकूल गतिविधियों का समर्थन करना,
- स्वदेशी तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देना आदि।
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- जलवायु वित्त-पोषण
- आर्थिक कार्य विभाग
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तांबा (Copper)
अर्जेंटीना के फिलो डेल सोल और जोसेमारिया में तांबे के बड़े भंडार का पता चला है। इससे यह देश दुनिया की शीर्ष दस तांबा उत्पादक खानों में शामिल हो गया है।
तांबे (Copper) के बारे में
- तांबा नरम, आकृति में ढालने योग्य (malleable) और तन्य (ductile) धातु है। इसमें अत्यधिक तापीय और विद्युत चालकता होती है।
- विश्व में तांबे के बड़े उत्पादक देश (2024): चिली विश्व में सबसे बड़ा तांबा उत्पादक देश है। इसके बाद डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, पेरू और चीन का स्थान है।
- भारत में तांबे के सबसे अधिक भंडार वाले राज्य: राजस्थान (52%), मध्य प्रदेश (23%) और झारखंड (15%) हैं।
- भारत में तांबे की मुख्य खानें:
- सिंहभूम तांबा पट्टी -: झारखण्ड;
- खेतड़ी तांबा पट्टी – राजस्थान;
- बालाघाट जिला – मध्य प्रदेश आदि।
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- तांबा
- फिलो डेल सोल
- तांबे के बड़े उत्पादक देश
एटमोस्फियरिक मेमोरी
एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि मानसून का आगमन और वापसी केवल सूर्य के प्रकाश पर नहीं, बल्कि एटमोस्फियरिक मेमोरी पर भी निर्भर करती है
अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- वायुमंडल जलवाष्प के रूप में भौतिक जानकारी को संचित करता है। इस जानकारी के आधार पर यह मानसून के आगमन और वापसी को नियंत्रित करता है।
- पहले यह माना जाता था कि मानसून मौसम के आगमन या वापसी की प्रक्रिया मुख्यतः सौर विकिरण (solar radiation) में परिवर्तन की तात्कालिक प्रतिक्रिया होती है।
- नया सिद्धांत: वायुमंडल की स्थिति उसके मौसम के इतिहास पर निर्भर करती है। यदि पहले से वर्षा हो रही है, तो वह जारी रहती है, लेकिन यदि वातावरण पहले से शुष्क है, तो वर्षा की शुरुआत कठिन हो जाती है। यह व्यवहार "द्विस्थिरता" (Bistability) कहलाता है।
- समान सौर विकिरण स्तर पर भी वायुमंडल या तो शुष्क या गहन वर्षा वाला हो सकता है, हालांकि यह इस तथ्य पर निर्भर करता है कि पहले के मौसम की स्थिति क्या थी।
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- एटमोस्फियरिक मेमोरी
- मानसून का आगमन
- द्विस्थिरता
गट माइक्रोबायोटा
एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन से होने वाली खाद्य कमी और कुपोषण मानव आंत में मौजूद सूक्ष्मजीवों (गट माइक्रोबायोटा) की संरचना को प्रभावित कर सकते हैं।
अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- उत्पादकता में कमी: खाद्य उपलब्धता में कमी से लोगों को सही पोषण नहीं मिल पाता, जिससे आंत के माइक्रोबियल (सूक्ष्मजीवों) की विविधता घटती है।
- पोषण की गुणवत्ता में गिरावट: वायुमंडल में CO₂ के बढ़ने से चावल और गेहूं जैसी फसलों में आयरन, जिंक, पोटेशियम एवं प्रोटीन जैसे पोषक तत्व कम हो जाते हैं।
गट माइक्रोबायोटा
- मानव आंत में लगभग 100 ट्रिलियन सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं।
- असंतुलन और रोग: इन सूक्ष्मजीवों का असंतुलन डायबिटीज, आंतों की बीमारियों (IBD), एक्जिमा और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जुड़ा हुआ है।
- मिश्रित प्रभाव: आंत केवल भोजन की कमी से प्रभावित नहीं होती, बल्कि गर्मी, प्रदूषण और संक्रमण भी मिलकर असर डालते हैं।
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- गट माइक्रोबायोटा
- सूक्ष्मजीव
IMDEX एशिया
भारतीय नौसेना का पोत INS किल्टन अंतर्राष्ट्रीय समुद्री रक्षा प्रदर्शनी (IMDEX) एशिया 2025 के 14वें संस्करण में भाग लेने के लिए सिंगापुर पहुंचा।
IMDEX एशिया के बारे में
- यह एशिया का अग्रणी नौसेना और समुद्री रक्षा कार्यक्रम है।
- उत्पत्ति: 1997 में।
- आयोजक: सिंगापुर गणराज्य की नौसेना।
- भागीदारी: 70 से अधिक देश।
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- IMDEX एशिया
- INS किल्टन
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आयुर्वेदिक पांडुलिपियां
केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद ने दो दुर्लभ आयुर्वेदिक पांडुलिपियों- द्रव्यरत्नाकरनिघण्टु और द्रव्यनामाकरनिघण्टु को पुनर्जीवित किया है।
- आयुर्वेद में निघण्टु शब्द का तात्पर्य औषधियों के समूह, समानार्थक शब्द, गुण और उनके उपयोग किए जाने वाले भाग के विवरण से है।
द्रव्यरत्नाकर निघण्टु के बारे में
- लेखक: इसकी रचना 1480 ई. में मुदगल पंडित ने की थी।
- इसमें 18 अध्याय हैं, जो औषधि के पर्यायवाची, चिकित्सीय क्रियाओं और औषधीय गुणों पर गहन ज्ञान प्रदान करते हैं।
- यह ग्रंथ धन्वंतरि और राजा निघण्टु जैसे पुराने ग्रंथों पर आधारित है। हालांकि, इसमें पौधों, खनिजों और पशु स्रोतों से प्राप्त नई औषधियों का भी वर्णन मिलता है।
द्रव्यनामाकरनिघण्टु के बारे में
- लेखक: भीष्म वैद्य।
- यह ग्रंथ विशेष रूप से औषधियों और पौधों के नामों के समानार्थी शब्दों पर केंद्रित है, जो आयुर्वेद का एक कठिन लेकिन महत्वपूर्ण विषय है।
- यह धन्वंतरि निघण्टु का एक स्वतंत्र परिशिष्ट माना जाता है।
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- आयुर्वेदिक पांडुलिपियां
- द्रव्यरत्नाकरनिघण्टु
- निघण्टु
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पुलित्जर पुरस्कार
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- पुलित्जर पुरस्कार
- कोलंबिया यूनिवर्सिटी