बजट 2024-25 के तहत घोषित इस योजना को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
योजना के बारे में
- उद्देश्य: राज्य सरकारों और उद्योग जगत के सहयोग से, मौजूदा ITIs को सरकारी स्वामित्व वाले, उद्योग जगत प्रबंधित कौशल के आकांक्षी संस्थान के रूप में स्थापित करना है।
- कुल परिव्यय: इस योजना के तहत पांच वर्षों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें केंद्रीय हिस्सेदारी: 30,000 करोड़ रुपये, राज्यों की हिस्सेदारी: 20,000 करोड़ रुपये और उद्योग जगत का खर्च: 10,000 करोड़ रुपये शामिल है।
- एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक द्वारा समान रूप से केंद्रीय हिस्से के 50% की सीमा तक का सह-वित्तपोषण किया जाएगा।
- फोकस
- यह योजना उद्योग जगत के अनुरूप फिर से तैयार किए गए रुझानों (पाठ्यक्रमों) के साथ हब और स्पोक व्यवस्था के तहत 1,000 सरकारी ITIs का उन्नयन करेगी।

- साथ ही, 5 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (NSTIs) की क्षमता वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें इन संस्थानों में कौशल विकास के लिए पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना भी शामिल है।
- परिणाम-आधारित कार्यान्वयन रणनीति के लिए उद्योग के नेतृत्व वाले स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) मॉडल को अपनाना।
ITIs के बारे में
- संरचना: राज्य सरकारों के अधीन संचालित, ITIs 1950 के दशक से भारत में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (VET) की नींव रहे हैं।
- ITI की मान्यता: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत प्रशिक्षण महानिदेशालय (DGT) वास्तव में भारत में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (VET) के लिए सर्वोच्च संगठन है।
- स्थिति: वर्तमान में, लगभग 15,034 ITIs संचालित हैं। इनमें से 78% निजी स्वामित्व वाले हैं।
- योजनाएं: औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण (स्ट्राइव/ STRIVE), मॉडल ITI, पूर्वोत्तर राज्यों में कौशल विकास अवसंरचना को बढ़ाना (ESDI)।