8,800 करोड़ रुपये की लागत से तैयार विझिंजम पोर्ट भारत का पहला समर्पित कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है।
- ट्रांसशिपमेंट पोर्ट में टर्मिनल भी शामिल होते हैं, जहां कार्गो कंटेनर्स को उनके अंतिम गंतव्य तक पहुंचने से पहले एक जहाज से दूसरे जहाज में स्थानांतरित किया जाता है।
- भारत महाराष्ट्र के पालघर जिले के वधावन में एक डीपवाटर पोर्ट विकसित कर रहा है। साथ ही, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में ग्रेट निकोबार द्वीप पर एक और मेगा ट्रांसशिपमेंट पोर्ट प्रस्तावित है।
विझिंजम पोर्ट
- इसे डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण ("DBFOT") आधार पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) घटक के साथ लैंडलॉर्ड मॉडल के तहत विकसित किया गया है।
- लैंडलॉर्ड मॉडल के तहत, बंदरगाह का स्वामित्व और नियंत्रण ‘पोर्ट अथॉरिटी’ के पास रहता है, लेकिन वास्तविक कार्गो हैंडलिंग एवं टर्मिनल का संचालन आमतौर पर निजी ऑपरेटरों को पट्टे पर दिया जाता है।
- यह भारत में पहली ग्रीनफील्ड बंदरगाह परियोजना है, जिसे PPP मोड के तहत राज्य सरकार द्वारा शुरू किया गया है।
- महत्त्व:
- रणनीतिक अवस्थिति: यूरोप, फारस की खाड़ी और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय पूर्व-पश्चिम पोत परिवहन मार्ग के नजदीक।
- डीप ड्राफ्ट: लगभग 20 मीटर का प्राकृतिक गहरा ड्राफ्ट जिसके लिए किसी बड़े ड्रेजिंग की आवश्यकता नहीं होती।
- घुमावदार तट: इससे सुनामी के प्रभाव कम होंगे एवं बंदरगाह के रखरखाव की लागत भी कम आएगी।
ट्रांसशिपमेंट हब की आवश्यकता
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