प्रतिबंध संबंधी यह आदेश वाणिज्य विभाग (केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) ने अधिसूचित किया है। इस आदेश को निर्यात (गुणवत्ता नियंत्रण और निरीक्षण) अधिनियम (1963) के तहत अधिसूचित किया गया है। इसके तहत कई एंटीबायोटिक दवाओं, एंटीवायरल और एंटीप्रोटोज़ोअल्स, जैसे कार्बोक्सीपेनिसिलिन, फेविपिराविर, नाइटाज़ोक्सानाइड आदि पर प्रतिबंध लगाया गया है।
इन पदार्थों पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR): जलीय कृषि में रोगाणुरोधी पदार्थों का विवेकहीन उपयोग AMR की वृद्धि में योगदान देता है।
- AMR में सूक्ष्मजीवों की दवाओं के प्रति प्रतिरोध करने की क्षमता होती है। इससे उन्हें मारना या उनकी वृद्धि को रोकना कठिन हो जाता है।
- सी फूड के निर्यात पर प्रभाव: निर्यात किए जाने वाले सी फूड में रोगाणुरोधी अवशेषों की उपस्थिति के कारण सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (SPS) जैसे गैर-टैरिफ उपायों के तहत आयात के अस्वीकार होने का जोखिम बना रहता है।
सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (SPS) उपाय क्या हैं?
- परिभाषा: SPS उपाय मानव, पशु और पादपों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए किए जाने वाले जैव सुरक्षा उपाय हैं। इनका उद्देश्य कीटों, बीमारियों तथा खाद्य एवं चारे में मौजूद दूषित पदार्थों से होने वाले जोखिमों को कम करना है।
- ये उपाय WTO के सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी उपायों के अनुप्रयोग पर समझौते (1995) द्वारा शासित हैं।
- यह समझौता WTO के सदस्यों को व्यापार व्यवधानों को न्यूनतम करते हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संबंध में वैज्ञानिक और गैर-भेदभावपूर्ण SPS उपायों को विकसित करने, अपनाने एवं लागू करने के लिए नियम प्रदान करता है।
- SPS समझौते के तहत अनुशंसित अंतर्राष्ट्रीय मानकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- खाद्य सुरक्षा के लिए FAO/ WHO कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन (कोडेक्स);
- पशु स्वास्थ्य और जूनोसिस के लिए विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH);
- पादप सुरक्षा के लिए FAO इंटरनेशनल प्लांट प्रोटेक्शन कन्वेंशन (IPPC)।