अब तक गहरे समुद्र में वैज्ञानिकों द्वारा जितने भी अध्ययन किए गए हैं, उनमें 97% अध्ययन केवल पाँच देशों- संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, न्यूजीलैंड, फ्रांस और जर्मनी द्वारा किए गए हैं।
- गहरे समुद्र के अध्ययन के लिए उपयोग किए गए साधन: गहरे समुद्र में दृश्यों के चित्र लेने के लिए मानवयुक्त पनडुब्बियों, रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs), ऑटोनोमस अंडर-वाटर व्हीकल्स (AUVs), जहाजों से जुड़े टो-कैमरों आदि की मदद ली गई है।
- महासागरीय कटक और कैनियन का तुलनात्मक रूप से अधिक अध्ययन किया गया है। इसके विपरीत, समुद्र नितल पर बड़ी संख्या में प्राप्त अतल मैदानों (abyssal plains) का कम अध्ययन किया गया है।
गहरे महासागर (डीप ओशन) के बारे में
- गहरे महासागर को सामान्यतः उस गहराई के नीचे का समुद्र और समुद्री नितल माना जाता है जहां प्रकाश की उपस्थिति तेजी से कम होने लगती है। आम तौर पर लगभग 200 मीटर की गहराई के नीचे का क्षेत्र गहरे महासागर की श्रेणी में आता है।
- गौरतलब है कि समुद्र में 200 मीटर की गहराई के नीचे ‘ट्वाइलाइट ज़ोन' शुरू होता है।
- परिस्थितियां: गहरा महासागर ठंडा होता है, जहां औसत तापमान केवल 4 डिग्री सेल्सियस होता है। यहां दबाव अत्यधिक होता है। वास्तव में इतनी गहराई पर जल का दबाव पृथ्वी के वायुमंडलीय दाब से लगभग 40 से लेकर 110 गुना तक अधिक होता है।
- जैव विविधता: मेसोपेलजिक ज़ोन (200 मीटर – 1000 मीटर) में स्क्विड, क्रिल, जेलीफ़िश और मछलियां बड़ी मात्रा में पाई जाती हैं। इतनी गहराई पर विश्व की 90 प्रतिशत मछलियां (वजन के अनुसार) पाई जाती हैं।
- हाइड्रोथर्मल वेंट्स: ये महासागरीय नितल पर पृथ्वी की भूपर्पटी (क्रस्ट) में स्थित ऐसे छिद्र हैं, जहां से भू-तापीय रूप से गर्म खनिजयुक्त जल निकलता रहता है। इस गर्म जल का सूक्ष्मजीव रासायनिक संश्लेषण (chemosynthesis) के माध्यम से ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त करने में उपयोग करते हैं।
- महासागरीय नितल के अध्ययन का महत्त्व:
- ऊर्जा के स्रोतों (तेल, गैस, मीथेन हाइड्रेट, समुद्री धाराओं आदि) के बारे में जानकारी मिलती है।
- जैव विविधता का उपयोग नई एंटीबायोटिक और कैंसर-रोधी दवाओं के विकास के लिए किया जाता है।
- महासागर के नितल पर बहुधात्विक नोड्यूल्स बड़ी मात्रा में मौजूद हैं।
- जलवायु परिवर्तन को समझने, उसका पूर्वानुमान लगाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए भी गहरे समुद्र का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है।
