वेव्स शिखर सम्मेलन 2025 का उद्घाटन मुंबई में किया गया। इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने भारत की क्रिएटिव इकोनॉमी को भविष्य की GDP में वृद्धि, नवाचार और समावेशी विकास के एक शक्तिशाली चालक के रूप में रेखांकित किया।
- वेव्स का लक्ष्य 2029 तक 50 बिलियन डॉलर का बाजार तैयार करना है। इससे वैश्विक मनोरंजन अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
- शिखर सम्मेलन के दौरान सरकार ने रचनात्मक क्षेत्र के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी (IICT) स्थापित करने की घोषणा की।
- इसकी स्थापना सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा FICCI और CII के साथ रणनीतिक साझेदारी में की जाएगी। साथ ही, इसकी परिकल्पना राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में की गई है।
क्रिएटिव इकोनॉमी क्या है?
- परिभाषा: क्रिएटिव इकोनॉमी को ऑरेंज इकोनॉमी भी कहा जाता है। यह आर्थिक संवृद्धि और विकास में योगदान देने के लिए रचनात्मक परिसंपत्तियों के योगदान एवं क्षमता पर आधारित एक उभरती हुई अवधारणा है।
- इसमें मीडिया और मनोरंजन, विज्ञापन एवं मार्केटिंग, एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स व एक्सटेंडेड रियलिटी (AVGC-XR) आदि शामिल हैं।
- संयुक्त राष्ट्र ने इसके वैश्विक महत्त्व पर जोर देते हुए वर्ष 2021 को “सतत विकास के लिए क्रिएटिव इकोनॉमी का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” घोषित किया था।
भारत की क्रिएटिव इकोनॉमी
- योगदान: यह GDP में 30 बिलियन डॉलर का योगदान देती है एवं 8% कार्यबल को रोजगार प्रदान करती है। क्रिएटिव एक्सपोर्ट सालाना 11 बिलियन डॉलर से अधिक है।
- चुनौतियां: गलत सूचनाओं का प्रसार, कॉपीराइट, बौद्धिक संपदा, गोपनीयता और बाजार पर एकाधिकार, ग्रामीण क्षेत्रों की सीमित डिजिटल पहुंच और औपचारिक वित्त-पोषण की कमी आदि।
क्रिएटिव इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा शुरू की गई पहलें
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