प्रादेशिक सेना नियम, 1948 का नियम 33 केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ को प्रादेशिक सेना का सहयोग लेने हेतु अधिकृत कर सके।
प्रादेशिक सेना के बारे में:
- यह नियमित सेना (Regular Army) का भाग है।
- पूर्णकालिक सैनिकों के विपरीत, प्रादेशिक सेना के सदस्य आम नागरिक होते हैं। ये अपनी नियमित नौकरियों से समय निकालकर प्रशिक्षण लेकर जरूरत के समय देश की सेवा का कार्य करते हैं।
- उन्हें अक्सर “टेरीयर्स (Terriers)” कहा जाता है।
- यह नियमित सेना के बाद रक्षा की दूसरी पंक्ति के रूप में कार्य करती है।
- मुख्य जिम्मेदारियां: नियमित सेना को असैन्य कार्यों से मुक्त करना तथा प्राकृतिक आपदाओं एवं विपदा की स्थितियों में आवश्यक सेवाओं के रख-रखाव में नागरिक प्रशासन की सहायता करना।
- आवश्यकता पड़ने पर नियमित सेना को यूनिट्स भी प्रदान करती है।
- पात्रता: भारतीय नागरिक होना, मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होना, लाभप्रद रोजगार में होना, आदि।
- वर्तमान संख्या: 65 यूनिट्स में लगभग 50,000 जवान।
- पूर्व युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका: प्रादेशिक सेना ने 1962, 1965, और 1971 के युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसकी श्रीलंका में ऑपरेशन पवन तथा पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षा जैसे अभियानों में सक्रिय भागीदारी रही है।
प्रादेशिक सेना का विकास-क्रम:
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