पहली बार, इस रिपोर्ट में भूजल गुणवत्ता निगरानी के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) प्रस्तुत की गई है। इससे डेटा संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या में एकरूपता सुनिश्चित होती है।
भूजल की स्थिति
- भारत विश्व में सबसे बड़ा भूजल उपयोगकर्ता है। वैश्विक स्तर पर जितना भूजल उपयोग किया जाता है, उसका 25% से अधिक अकेले भारत में उपयोग होता है।
- भूजल निकासी का 87% कृषि क्षेत्रक में तथा लगभग 11% घरेलू क्षेत्रक में उपयोग किया जाता है।

इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- क्षेत्रीय भिन्नता: अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम आदि राज्यों में भूजल के 100% सैंपल BIS मानकों को पूरा करते हैं, जबकि राजस्थान, हरियाणा और आंध्र प्रदेश के सैंपल में व्यापक संदूषण (Contamination) पाया गया है।
- सिंचाई के लिए योग्य: अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा आदि राज्यों में सिंचाई के लिए उत्कृष्ट श्रेणी का जल उपलब्ध है।
- आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा आदि राज्यों के भूजल में सोडियम की मात्रा बहुत अधिक है। इससे भूजल सिंचाई के लिए अनुपयुक्त बन जाता है।
- चिंताजनक मुख्य प्रदूषक: नाइट्रेट (राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र), फ्लोराइड (हरियाणा व कर्नाटक), आर्सेनिक (गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के बाढ़ के मैदान), यूरेनियम (राजस्थान एवं पंजाब), आदि।
भूजल की गुणवत्ता में गिरावट के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक
- औद्योगीकरण: भारी धातुओं, रसायनों और विलायकों सहित अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट को खुले में छोड़ना।
- कृषि प्रणालियां: खेती में उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग करना।
- शहरीकरण: अकुशल अपशिष्ट निपटान, सीवरेज लीकेज और लैंडफिल संदूषण।
- जलवायु परिवर्तन: वर्षा के पैटर्न में परिवर्तन और अत्यधिक भूजल निकासी से जलभृतों (Aquifers) की पुनर्भरण क्षमता प्रभावित होती है।