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उपराष्ट्रपति ने दिल्ली में आयोजित 27वें अंतर्राष्ट्रीय वेदांत सम्मेलन को संबोधित किया

Posted 04 Jan 2025

7 min read

इस सम्मेलन की थीम थी- "वेदान्तिक विश्व व्यवस्था की पुनर्कल्पना।” यह थीम वेदांत की समकालीन प्रासंगिकता को दर्शाती है।

वेदांत दर्शन के बारे में

  • अर्थ: वेदांत का अर्थ है "वेदों का सार (या अंत)"। वेदों का सार मूल रूप से उपनिषदों में निहित है।  उपनिषद वैदिक ग्रंथों के निष्कर्ष भाग माने जाते हैं। 
    • हालांकि, वेदांत में उपनिषदों की विभिन्न व्याख्याएं भी शामिल हैं।
  • दर्शन: वेदांत को उत्तर मीमांसा के नाम से भी जाना जाता है। ये दार्शनिक विचारधाराओं के आधार पर गूढ़/ गहन प्रश्नों का समाधान करते हैं जैसे:
    • ‘मैं कौन हूँ?’,
    • ‘यह ब्रह्मांड क्या है?’
    • ‘मैं ब्रह्मांड से किस तरह से जुड़ा हूँ?’
  • प्रमुख घटक: वेदांत में तीन मुख्य अवधारणाएं हैं:
    • ब्रह्म: परम सत्य। 
    • आत्म: व्यक्तिगत चेतना या स्वयं।
    • प्रकृति: भौतिक जगत। 
  • स्वामी विवेकानंद ने 1893 की शिकागो धर्म संसद में पाश्चात्य देशों के लोगों को वेदांत से परिचित कराया।

वेदांत की समकालीन प्रासंगिकता

  • लोकतंत्र और बहुलवाद: वेदांत का सिद्धांत, "सत्य एक है, लेकिन बुद्धिमान इसे अलग तरीके से व्यक्त करते हैं," बहुलवाद, सह-अस्तित्व और संवाद का समर्थन करता है।
  • अस्तित्व की एकता: महा उपनिषद में वर्णित वसुधैव कुटुम्बकम ("संपूर्ण विश्व एक परिवार है") के माध्यम से वैश्विक सद्भावना का समर्थन करता है।
  • जलवायु परिवर्तन का समाधान: प्रकृति के साथ एकता के सिद्धांत के माध्यम से संधारणीय जीवन शैली को बढ़ावा देता है। 
  • Tags :
  • 27वें अंतर्राष्ट्रीय वेदांत सम्मेलन
  • वेदांत दर्शन
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