इस सम्मेलन की थीम थी- "वेदान्तिक विश्व व्यवस्था की पुनर्कल्पना।” यह थीम वेदांत की समकालीन प्रासंगिकता को दर्शाती है।
वेदांत दर्शन के बारे में

- अर्थ: वेदांत का अर्थ है "वेदों का सार (या अंत)"। वेदों का सार मूल रूप से उपनिषदों में निहित है। उपनिषद वैदिक ग्रंथों के निष्कर्ष भाग माने जाते हैं।
- हालांकि, वेदांत में उपनिषदों की विभिन्न व्याख्याएं भी शामिल हैं।
- दर्शन: वेदांत को उत्तर मीमांसा के नाम से भी जाना जाता है। ये दार्शनिक विचारधाराओं के आधार पर गूढ़/ गहन प्रश्नों का समाधान करते हैं जैसे:
- ‘मैं कौन हूँ?’,
- ‘यह ब्रह्मांड क्या है?’
- ‘मैं ब्रह्मांड से किस तरह से जुड़ा हूँ?’
- प्रमुख घटक: वेदांत में तीन मुख्य अवधारणाएं हैं:
- ब्रह्म: परम सत्य।
- आत्म: व्यक्तिगत चेतना या स्वयं।
- प्रकृति: भौतिक जगत।
- स्वामी विवेकानंद ने 1893 की शिकागो धर्म संसद में पाश्चात्य देशों के लोगों को वेदांत से परिचित कराया।
वेदांत की समकालीन प्रासंगिकता
- लोकतंत्र और बहुलवाद: वेदांत का सिद्धांत, "सत्य एक है, लेकिन बुद्धिमान इसे अलग तरीके से व्यक्त करते हैं," बहुलवाद, सह-अस्तित्व और संवाद का समर्थन करता है।
- अस्तित्व की एकता: महा उपनिषद में वर्णित वसुधैव कुटुम्बकम ("संपूर्ण विश्व एक परिवार है") के माध्यम से वैश्विक सद्भावना का समर्थन करता है।
- जलवायु परिवर्तन का समाधान: प्रकृति के साथ एकता के सिद्धांत के माध्यम से संधारणीय जीवन शैली को बढ़ावा देता है।