हिमालय दुनिया के भूगर्भीय रूप से सर्वाधिक सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। यहां कई बार अत्यंत प्रबल भूकंप आए हैं।
- भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तैयार भारत के भूकंपीय क्षेत्रीकरण मानचित्र के अनुसार हिमालयी क्षेत्र मुख्य रूप से भूकंपीय जोन IV और भूकंपीय जोन V में आता है।
- इसमें भारत को 4 भूकंपीय जोन्स (V, IV, III, और II) में विभाजित किया गया है। इसमें से जोन V सबसे अधिक सक्रिय, जबकि जोन II सबसे कम सक्रिय जोन है।
हिमालयी क्षेत्र में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं?
- भारतीय और यूरेशियन प्लेट्स का टेक्टोनिक टकराव: हिमालय भारतीय और यूरेशियन प्लेट्स की अभिसारी सीमा पर स्थित है। इस सीमा पर, भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धंस रही है। इसके परिणामस्वरूप अत्यधिक दबाव उत्पन्न होता है, जो समय-समय पर भूकंप के रूप में प्रकट होता है।
- सक्रिय भ्रंश रेखाएं: इस क्षेत्र में अनेक भ्रंश प्रणालियां, जैसे मुख्य केंद्रीय थ्रस्ट और मुख्य सीमा थ्रस्ट आदि मौजूद हैं। अतः इन भ्रंशों के साथ अचानक भूगर्भीय हलचल के कारण भूकंप आते हैं।
- युवा पर्वत श्रृंखला: हिमालय भूगर्भीय दृष्टि से युवा और संरचनात्मक रूप से अस्थिर है। इससे भूकंपीय गतिविधियों की संभावना बढ़ जाती है।
हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के कारण घटित होने वाली घटनाएं
- भूस्खलन और हिमस्खलन: खड़ी ढलानों के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचता है और जान-माल की हानि होती है।
- ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड्स (GLOFs): भूकंप हिमनदीय झीलों को अस्थिर कर सकते हैं, जिससे विनाशकारी बाढ़ आ सकती है।
- टेक्टोनिक उत्थान और भ्रंश: भूभाग में अचानक उत्थान और भ्रंश से पारिस्थितिकी-तंत्र एवं मानव बस्तियां आदि प्रभावित होती हैं।
- सांस्कृतिक विरासत का नुकसान: इस क्षेत्र में प्राचीन मठ, मंदिर और सांस्कृतिक स्थल स्थित हैं, जिन्हें भूकंप के कारण नुकसान पहुंच सकता है।
आगे की राह
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