सुप्रीम कोर्ट (SC) ने केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों में रिक्तियों को समय पर भरने का निर्देश दिया | Current Affairs | Vision IAS
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सुप्रीम कोर्ट (SC) ने केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों में रिक्तियों को समय पर भरने का निर्देश दिया

Posted 08 Jan 2025

13 min read

यह निर्देश अंजलि भारद्वाज बनाम भारत संघ वाद में दायर जनहित याचिका (PIL) के तहत दिया गया है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, सूचना आयोगों में रिक्तियों को भरने में प्रगति नहीं हो रही है।

SC की मुख्य टिप्पणियां और निर्देश

  • केंद्रीय सूचना आयोग (CIC): CIC में एक मुख्य सूचना आयुक्त और 2 सूचना आयुक्त कार्यरत हैं। हालांकि, CIC में 10 सूचना आयुक्त (IC) के पद स्वीकृत हैं। 
  • राज्य सूचना आयुक्त: अधिकांश राज्यों ने राज्य सूचना आयोगों (SICs) के लिए चयन प्रक्रियाएं प्रारंभ कर दी हैं। हालांकि, नियुक्तियों को पूरा करने के लिए स्पष्ट समयसीमा का अभाव है।
  • नियुक्तियों में विविधता की आवश्यकता पर बल: 2019 में अपने एक निर्णय में SC ने कहा था कि सूचना आयुक्तों (ICs) के पद पर केवल नौकरशाहों को ही नहीं, बल्कि जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों का ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को भी नियुक्त करना चाहिए।
  • SC के निर्देश: शीर्ष न्यायालय ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और राज्यों को निर्देश दिया था कि सूचना आयुक्तों के चयन को पूरा करने और उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी करने के लिए एक विस्तृत समय-सीमा प्रदान करनी चाहिए।

निष्क्रिय सूचना आयोगों के कारण उत्पन्न चिंताएं

  • सूचना आयोगों में रिक्तियों के कारण लंबित मामलों में वृद्धि: उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल सूचना आयोग की मौजूदा स्थिति के अनुसार, 2022 में दायर एक शिकायत को हल करने में 24 साल लग सकते हैं।
  • सक्रिय प्रकटीकरण में गिरावट: कुल RTI आवेदनों का 44% ऐसे मामलों से संबंधित है, जिनकी जानकारी का RTI अधिनियम की धारा 4 के तहत सक्रिय रूप से खुलासा किया जाना चाहिए था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ऐसे खुलासों में गिरावट दर्ज की गई है।
  • निष्क्रिय आयोग: कुछ राज्य सूचना आयोग जैसे- त्रिपुरा और झारखंड के आयोग पूरी तरह से निष्क्रिय हैं। इन आयोगों की निष्क्रियता के कारण लंबित मामलों को नहीं निपटाया जा रहा है। 

RTI से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय 

  • पीपल्स यूनियन फॉर सिविल राइट्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2004) वाद: इस मामले में SC ने सूचना के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी। SC के इस निर्णय ने आगे RTI अधिनियम के लिए आधार का काम किया था।
  • सुभाष चंद्र अग्रवाल बनाम कार्मिक विभाग (2010) वाद: इस वाद में शीर्ष न्यायालय ने सुस्पष्ट किया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का कार्यालय भी RTI अधिनियम के अंतर्गत आता है।
  • नमित शर्मा बनाम भारत संघ (2012) वाद: SC ने निर्णय दिया था कि सूचना आयोग एक न्यायालय के समान अर्ध-न्यायिक कार्यों वाले अधिकरण हैं। 
  • Tags :
  • सुप्रीम कोर्ट
  • सूचना आयुक्त
  • PIL
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