राष्ट्रीय नदी यातायात एवं नौवहन प्रणाली (National River Traffic and Navigation System: NRT&NS) का उद्देश्य अंतर्देशीय जलयानों की सुरक्षा और उनके सुचारू परिचालन को बढ़ावा देना है।
- इसे अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (IWDC) की दूसरी बैठक में लॉन्च किया गया है।
- IWDC को 2023 में गठित किया गया था। यह भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों को बेहतर बनाने एवं उनके उपयोग को बढ़वा देने संबंधी नीतिगत मामलों में विचार-विमर्श हेतु एक शीर्ष मंच है।
इस बैठक से संबंधित अन्य मुख्य बिंदु
- अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन क्षेत्रक में प्रशिक्षण और नवाचार के लिए 9 क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्रों (RCoEs) की स्थापना की जाएगी।
- बुनियादी ढांचे, व्यापार, पर्यटन और कौशल विकास के माध्यम से समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए नदी सामुदायिक विकास योजना शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।
भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग के बारे में
- स्थिति: राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अंतर्गत 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग (NW) घोषित किया गया है।
- महत्वपूर्ण राष्ट्रीय जलमार्ग: NW-1 (हल्दिया-प्रयागराज गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली पर), NW-2 (धुबरी से सदिया ब्रह्मपुत्र नदी पर) आदि।
- संस्थागत संरचना: भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की स्थापना भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1985 के तहत की गई है। यह राष्ट्रीय जलमार्ग के विनियमन और विकास के लिए जिम्मेदार है।
- क्षमता: भारत में लगभग 14,500 किलोमीटर नौगम्य अन्तर्देशीय जलमार्ग हैं, जिनमें नदियां, नहरें, बैकवाटर और क्रीक शामिल हैं।
राष्ट्रीय जलमार्ग (NW) का महत्त्व:
- बुनियादी ढांचे की दक्षता: इसके लिए भूमि अधिग्रहण के मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ता है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा: उदाहरण के लिए, भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल NW-1 और NW-2 का उपयोग करके व्यापार को बढ़ावा देता है।
- अन्य: इसमें पर्यावरणीय लाभ (ईंधन-कुशल), क्षेत्रीय और तटीय विकास (जैसे पूर्वोत्तर भारत) आदि शामिल हैं।
प्रमुख चुनौतियां:
- नदी के ऊपरी भाग में जल की अत्यधिक निकासी/ उपयोग के परिणामस्वरूप नदियों के निचले भाग में विसर्प का बनाना या नदियों का शाखाओं में विभाजन होना;
- अत्यधिक गाद के कारण बार-बार व्यापक ड्रेजिंग की आवश्यकता, आदि।
