SBI की इस रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत की गरीबी दर में 5% की गिरावट आई है। इसके अलावा, चरम गरीबी की स्थिति लगभग समाप्त हो चुकी है। रिपोर्ट द्वारा प्रस्तुत हालिया गरीबी संबंधी अनुमान सरकार के उपभोग व्यय सर्वेक्षण के आंकड़ों पर आधारित है।
- ये नए गरीबी अनुमान सुरेश तेंदुलकर समिति (2011-12) द्वारा तय गरीबी रेखा के मुद्रास्फीति समायोजन पर आधारित हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- ग्रामीण गरीबी: वित्त वर्ष 2024 में ग्रामीण गरीबी घटकर 4.86% हो गई। यह वित्त वर्ष 2023 में 7.2% और वित्त वर्ष 2012 में 25.7% थी।
- शहरी गरीबी: यह वित्त वर्ष 2023 की 4.6% से घटकर 4.09% हो गई है। वित्त वर्ष 2012 में इसकी दर 13.7% थी।

- गरीबी में गिरावट के लिए प्रेरक कारक: निम्न आय वर्ग की 5% आबादी के उपभोग व्यय में उच्च वृद्धि के कारण गरीबी दर में गिरावट आई है।
- गरीबी रेखा: यह वह न्यूनतम आय (या व्यय) है, जो किसी व्यक्ति को बुनियादी मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने में सक्षम बनाती है।
- जिन लोगों का आय स्तर इस गरीबी रेखा से नीचे होता है, उन्हें गरीब माना जाता है।
भारत में गरीबी के आकलन के लिए बनी प्रमुख समितियां
- लकड़ावाला समिति (1993) ने कैलोरी सेवन से संबंधित उपभोग व्यय के आधार पर गरीबी की गणना करने की सिफारिश की थी।
- तेंदुलकर समिति (2009) ने कैलोरी-आधारित गरीबी रेखा की जगह एक समान अखिल भारतीय शहरी गरीबी रेखा बास्केट पेश की थी।
- रंगराजन समिति (2014) ने ग्रामीण और शहरी गरीबी रेखा को अलग-अलग मापने की सिफारिश की थी। साथ ही, राज्य-विशिष्ट अनुमान जारी करने की सिफारिश की थी।
गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार की पहलें
- किफायती स्वास्थ्य सेवा: आयुष्मान भारत योजना, प्रधान मंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना आदि।
- सामाजिक सुरक्षा और अधिकारिता: प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, आदि।
- वित्तीय समावेशन: पी.एम. जन धन योजना, पी.एम. उज्ज्वला योजना आदि।
- रोजगार और कौशल विकास: मनरेगा, पी.एम. कौशल विकास योजना आदि।