राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) | Current Affairs | Vision IAS
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Posted 13 Jan 2025

46 min read

राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC)

हाल ही में, उपराष्ट्रपति ने राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के 25वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।

SPSC के बारे में

  • यह राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षा आयोजित करता है। 
  • संवैधानिक निकाय: अनुच्छेद 315-323 (भाग-XIV) में संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोगों के संबंध में प्रावधान किया गया हैं।
  • नियुक्ति: राज्य के राज्यपाल द्वारा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति की जाती है (अनुच्छेद 316)।
  • अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल: 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो।
  • पद से हटाना: राष्ट्रपति द्वारा अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को निम्नलिखित कारणों के आधार पर उसी प्रक्रिया से हटाया जा सकता है, जैसे- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष एवं सदस्यों को हटाया जाता है: 
    • दिवालिया न्यायनिर्णीत किए जाने पर, अपने कार्यालय में अपने पद के कर्तव्यों के बाहर कोई वेतन वाली नौकरी करने पर, अयोग्यता एवं कदाचार के आधार  पर (सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच के बाद)।
  • Tags :
  • अनुच्छेद 315
  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC)

भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण प्लेटफॉर्म (Bharat Cleantech Manufacturing Platform)

हाल ही में, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने भारत जलवायु फोरम 2025 में भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया। 

भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण प्लेटफॉर्म के बारे में 

  • इसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हाइड्रोजन ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज जैसे क्षेत्रकों में भारत की स्वच्छ प्रौद्योगिकी (क्लीनटेक) मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • यह भारतीय कंपनियों को सहयोग करनेसह-नवाचार करने तथा वित्त-पोषण, विचारों, प्रौद्योगिकियों और संसाधनों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करने में मदद करेगा।
    • यह भारत को संधारणीयता और स्वच्छ प्रौद्योगिकी क्षेत्रक में एक आकर्षक व्यवसाय मॉडल और वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने में मदद करेगा।
  • Tags :
  • भारत जलवायु फोरम 2025
  • भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण प्लेटफॉर्म

औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 की अनुसूची M

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इन नियमों की अनुसूची M (Schedule M) को संशोधित किया है। यह फार्मा कंपनियों को उत्पादन से संबंधित दोषों/ खामियों और शिकायत के बाद वापसी वाली दवाओं की रिपोर्ट करना अनिवार्य करता है। इससे दवाओं की गुणवत्ता संबंधी अनुपालन सुनिश्चित हो पाता है।

अनुसूची M  के बारे में 

  • यह फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) निर्धारित करता है। 
    • GMPs ऐसे अनिवार्य मानक हैं, जो दवा उत्पादन सामग्रियों, विधियों, मशीनों, प्रक्रियाओं आदि पर नियंत्रण के माध्यम से उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं। 
    • GMPs को पहली बार 1988 में अनुसूची M में शामिल किया गया था। 
  • Tags :
  • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945
  • अनुसूची M

निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों की छूट (RoDTEP) योजना

हाल ही में, निर्यातकों ने RoDTEP योजना के अंतर्गत ड्यूटी क्रेडिट की उपलब्धता के मामले में अस्पष्टता पर चिंता जताई है

RoDTEP योजना के बारे में

  • प्रारंभ: यह योजना 2021 से केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा लागू की जा रही है।
    • विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मानदंडों का अनुपालन करने के लिए यह योजना “भारत से वस्तु निर्यात योजना (Merchandise Exports from India Scheme)” के बदले शुरू की गई है।
  • उद्देश्य: यह योजना सुनिश्चित करती है कि निर्यातकों को वस्तुओं के उत्पादन के क्रम में लिए गए करों और शुल्कों का रिफंड मिल जाये, ताकि निर्यात को सस्ता रखा जा सके।
  • छूट या रिफंड को केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा पूरी तरह संचालित प्रणाली द्वारा हस्तांतरणीय इलेक्ट्रॉनिक स्क्रिप के रूप में जारी किया जाता है।
    • इसका मतलब है कि निर्यातक अपनी कर देनदारियों की भरपाई के लिए इन स्क्रिप्स को अन्य निर्यातकों या व्यवसायों को हस्तांतरित कर सकते हैं। 
  • Tags :
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO)
  • RoDTEP योजना
  • CBIC

यूट्रीकुलेरिया (ब्लैडरवॉर्ट्स)

हाल ही में, राजस्थान के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 'यूट्रीकुलेरिया' नामक पौधे काफी संख्या में पाए गए हैं।

यूट्रीकुलेरिया (ब्लैडरवॉर्ट्स) के बारे में

  • परिचय: यह दुर्लभ और अनोखा मांसाहारी पौधा है। इस पौधे को यूट्रीकुलेरिया नाम, इसके छोटे ब्लैडर या यूट्रिकल्स के कारण दिया गया है।
    • यूट्रिकल्स के मुहाने पर छोटे-छोटे बाल/ रोम जैसी संरचना शिकार की हलचल को महसूस कर सकती हैं। जैसे ही कोई जीव इस रोम जैसी संरचना को स्पर्श करता है तो यूट्रिकल्स का मुहाना खुल जाता है और जीव उसमें फंस जाता है। 
    • यह पौधा छोटे जीवों का शिकार करता है। इनमें प्रोटोजोआ, कीट, लार्वा, मच्छर और यहां तक कि टैडपोल भी शामिल हैं। 
  • उपस्थिति: यह पौधा झीलों, नदियों और जलभराव वाली आर्द्र मृदा में पाया जाता है।
  • महत्व: यह जैव विविधता को बढ़ाता है। साथ ही, यह छोटे कीटों की संख्या को नियंत्रित रखकर पर्यावरण में संतुलन बनाए रखता है।
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  • यूट्रीकुलेरिया
  • ब्लैडरवॉर्ट्स
  • मांसाहारी पौधा

होलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य

हाल ही में, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति ने होलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य के इको-सेंसिटिव जोन में तेल और गैस की खोज के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। 

होलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य के बारे में 

  • अवस्थिति: यह अभयारण्य असम के जोरहाट जिले में स्थित है। 
    • इसमें आधिकारिक तौर पर डिसोई घाटी रिजर्व फॉरेस्ट, डिसोई रिजर्व फॉरेस्ट और तिरु हिल रिजर्व फॉरेस्ट शामिल हैं। 
  • स्थापना: 1997 में। 
  • महत्व: इसमें भारत की एकमात्र गिब्बन प्रजाति ‘हूलॉक गिब्बन’ प्राप्त होती है। साथ ही, इसमें पूर्वोत्तर भारत का एकमात्र रात्रिचर प्राइमेट ‘बंगाल स्लो लोरिस’ भी पाया जाता है। 
    • यहां पाए जाने वाले अन्य नॉन-ह्यूमन प्राइमेट्स हैं- कैप्ड लंगूर, रीसस मैकाक, असमिया मैकाक, पिगटेल्ड मैकाक और स्टंप टेल्ड मैकाक। 
  • Tags :
  • होलोंगापार गिब्बन
  • होलोंगापार गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य
  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड
  • बंगाल स्लो लोरिस

इंडो-बर्मीज पैंगोलिन

हाल ही में, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के वैज्ञानिकों ने नमूनों के आनुवंशिक विश्लेषण के आधार पर पैंगोलिन की एक नई प्रजाति ‘इंडो-बर्मीज पैंगोलिन’ की खोज की है।

इंडो-बर्मीज पैंगोलिन (Manis Indoburmanica) के बारे में 

  • यह एशियाई पैंगोलिन की एक विशिष्ट वर्गानुवंशिकी या फाइलोजेनेटिक्स​ (Phylogenetics) प्रजाति है। यह प्रजाति मैनिडी फैमिली से संबंधित है। 
  • इस पैंगोलिन के शल्क का रंग गहरा भूरा और गहरा जैतूनी भूरा है। इसके चेहरे के आस-पास का रंग गुलाबी है। 
  • भौगोलिक वितरण: अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ हिस्सों में तथा संभवतः नेपाल, भूटान और म्यांमार में पाए जाते हैं। 
  • Tags :
  • इंडो-बर्मीज पैंगोलिन
  • भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI)

कंप्रेस्ड एयर एनर्जी स्टोरेज (CAES) सिस्टम

हाल ही में, दुनिया की सबसे बड़ी कंप्रेस्ड एयर एनर्जी स्टोरेज (CAES) सिस्टम फैसिलिटी ने चीन में पूरी क्षमता के साथ कार्य करना शुरू कर दिया है।

कंप्रेस्ड एयर एनर्जी स्टोरेज (CAES) के बारे में

  • परिचय: यह ऊर्जा भंडारण की एक तकनीक है। इसका उपयोग वायु को संपीडित करके बंद स्थानों में ऊर्जा भंडारित करने के लिए किया जाता है। ऐसे बंद स्थानों में भूमिगत खदान या नमक की चट्टानों के अंदर बनी गुफाएं शामिल हैं
    • यह तकनीक विद्युत ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा (संपीडित वायु) के रूप में भंडारित करती है। 
    • इसमें ऊर्जा को ऑफ-पीक घंटों के दौरान भंडारित किया जाता है तथा मांग अधिक होने पर ग्रिड में आपूर्ति कर दी जाती है।
  • लाभ: CAES पीक समय के दौरान बिजली की मांग-आपूर्ति में संतुलन बनाए रखने में सहायक है। साथ ही, यह ऊर्जा भंडारण की पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रिया भी है
  • Tags :
  • कंप्रेस्ड एयर एनर्जी स्टोरेज (CAES)
  • संपीडित वायु
  • पर्यावरण अनुकूल

भारत में फसल-कटाई के त्यौहार

हाल ही में, भारत के अलग-अलग भागों में फसल-कटाई के त्यौहार मनाए गए।

भारत के फसल-कटाई के त्यौहार 

  • परिचय: ये त्यौहार देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाए जाते हैं। ये त्यौहार प्रकृति के प्रति समुदायों के प्रेम को दर्शाते हैं।

फसल-कटाई के प्रमुख त्यौहार

  • लोहड़ी: यह त्यौहार उत्तर भारत में, और विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाता है। यह सर्दियों के मौसम के समाप्त होने के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। 
  • मकर संक्रांति (उत्तर भारत): यह ग्रीष्म ऋतु के आगमन तथा हिंदुओं के लिए छह माह के शुभ काल को दर्शाता है। यह त्योहार विशेष रूप से सूर्य के उत्तरायण के आरंभ को दर्शाता है। 
    • मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है। इसलिए इसे उत्तरायण कहा जाता है। 
  • पोंगल (दक्षिण भारत): यह चार दिवसीय उत्सव है। इसमें सूर्य देव की पूजा की जाती है। यह त्यौहार भी सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश का प्रतीक है।
  • भोगाली बिहू (असम): यह त्यौहार फसल कटाई के मौसम की समाप्ति का प्रतीक है।
  • Tags :
  • पोंगल
  • मकर संक्रांति
  • लोहड़ी
  • फसल-कटाई के त्यौहार

हाटी जनजाति

हिमाचल प्रदेश में ट्रांस-गिरि क्षेत्र की हाटी जनजाति का सबसे बड़ा वार्षिक उत्सव बोड़ा त्यौहार शुरू हो गया है। इस उत्सव को स्थानीय रूप से ‘माघो को त्योहार’ भी कहा जाता है। 

हाटी जनजाति के बारे में

  • संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2023 के तहत हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया गया है।
  • कस्बों में 'हाट' नामक साप्ताहिक बाजारों के आयोजन के कारण इस जनजाति का नाम हाटी पड़ा। इन छोटे बाजारों में ये अपनी उपज बेचते आए हैं।
  • इस क्षेत्र को ट्रांस-गिरि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह गिरि और टोंस नदी के पास अवस्थित है। 
  • ये समुदाय उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में निवास करते हैं।
  • Tags :
  • अनुसूचित जनजाति
  • हाटी जनजाति
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