माइक्रोफाइनेंस क्षेत्रक में कर्जदारों द्वारा कर्ज न चुकाने की दर साल में लगभग दोगुनी हुई | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

    माइक्रोफाइनेंस क्षेत्रक में कर्जदारों द्वारा कर्ज न चुकाने की दर साल में लगभग दोगुनी हुई

    Posted 13 Jan 2025

    13 min read

    क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की एक हालिया रिपोर्ट ‘CRIF हाई मार्क’ के अनुसार, माइक्रोफाइनेंस क्षेत्रक में कर्जदारों द्वारा कर्ज न चुकाने की दर में काफी वृद्धि दर्ज हुई है। गौरतलब है कि इसी अवधि में भारत में बैंकिंग क्षेत्रक की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) में समग्र गिरावट दर्ज की गई है।  

    • माइक्रोफाइनेंस या सूक्ष्म वित्त का उद्देश्य लघु राशि वाली बचत, ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है। ये वित्तीय सेवाएं मुख्य रूप से ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में गरीबों को प्रदान की जाती हैं। इनका उद्देश्य गरीबों की आय बढ़ाना और उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है।
    • RBI के अनुसार 3,00,000 रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवारों के व्यक्तियों को दिए गए सभी जमानत-मुक्त ऋणों को माइक्रोफाइनेंस ऋण माना जाता है। 
      • ऐसे परिवारों को निम्न आय वाला परिवार माना जाता है। 

    माइक्रोफाइनेंस का महत्व 

    • वित्तीय समावेशन: यह पारंपरिक बैंकिंग व्यवस्था का लाभ नहीं उठाने वाले लगभग 8 करोड़ निम्न आय वाले व्यक्तियों को ऋण जैसी सेवाएं प्रदान करता है। 
    • ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन: यह हस्तशिल्प, कृषि और लघु-स्तरीय विनिर्माण जैसे स्थानीय उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए स्वरोजगार को बढ़ावा देता है। इससे मौसमी रोजगार या शोषणकारी नौकरियों पर लोगों की निर्भरता कम हो जाती है। 
    • महिला सशक्तीकरण: महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को माइक्रोफाइनेंस सहायता मिलने से आर्थिक स्वतंत्रता और निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।

    माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं के समक्ष चुनौतियां

    • इन्हें गरीबों को ऋण देने के लिए बड़ी संस्थाओं से कम ब्याज दर पर लंबे समय के लिए फंड जुटाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    • ये अपना अधिकांश ऋण गरीब लोगों को देते हैं। इन ऋणों की रिकवरी आसान नहीं होती है। इससे माइक्रोफाइनेंस संस्थानों का ऋण डूबने का खतरा बना रहता है।
    • राज्यों द्वारा ऋण माफी की घोषणाएं कर्जदाताओं को समय पर ऋण चुकाने से हतोत्साहित करती हैं। 

    भारत में माइक्रोफाइनेंस योजनाएं

    • स्वयं सहायता समूह-बैंक लिंकेज प्रोग्राम (SHG-BLP): इसे 1992 में नाबार्ड द्वारा शुरू किया गया था। यह अनौपचारिक स्व-सहायता समूहों (SHGs) को औपचारिक वित्तीय संस्थानों से जोड़ता है।
    • मुद्रा योजना: इसे 2015 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य गैर-कृषि क्षेत्रकों से संबंधित सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSEs) को लघु पूंजी उपलब्ध कराना है।
    • सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी निधि योजना: इसका उद्देश्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को जमानत-मुक्त (कोलेटरल-फ्री) ऋण उपलब्ध कराना है। 
    • Tags :
    • SHG-BLP
    • माइक्रोफाइनेंस
    • गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA)
    • मुद्रा योजना
    Watch News Today
    Subscribe for Premium Features