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भारत के G20 शेरपा ने भारत को सनराइज क्षेत्रक में ग्लोबल चैंपियन बनने की आवश्यकता का उल्लेख किया

Posted 13 Jan 2025

16 min read

भारत के G20 शेरपा ने भारत क्लाइमेट फोरम 2025 को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को सनराइज क्षेत्रक में ग्लोबल चैंपियन बनने की आवश्यकता है। उनके अनुसार, 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने और 32 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में ये क्षेत्रक अहम भूमिका निभाएंगे। 

सनराइज क्षेत्रक क्या हैं? 

  • सनराइज इंडस्ट्री ऐसे क्षेत्रक के लिए इस्तेमाल की जाने वाली टर्म है, जो आर्थिक विकास के शुरुआती चरण में है और तीव्र संवृद्धि प्राप्त करने के लिए तैयार है। 
  • आमतौर पर, ऐसे उद्योगों की संवृद्धि दर उच्च होती हैं। इन उद्योगों में स्टार्ट-अप्स कंपनियों की संख्या अधिक होती हैं। इन्हें फंडिंग भी अधिक उपलब्ध होती है। 
    • सनराइज क्षेत्रक के उदाहरण हैं; सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लीन मोबिलिटी सिस्टम, जीनोमिक्स, फार्मा, आदि। 

सनराइज क्षेत्रक का महत्त्व 

  • आर्थिक संवृद्धि और विविधीकरण: नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs), जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रक देश की आर्थिक गतिविधियों में विविधता लाकर पारंपरिक उद्योगों पर निर्भरता को कम करते हैं। इससे अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने में अधिक सक्षम हो जाती है। 
  • तकनीकी प्रगति: AI और मशीन लर्निंग के साथ-साथ सूचना और डिजिटल प्रौद्योगियां कई क्षेत्रकों में व्यापक प्रभाव डालती हैं। इनमें स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और विनिर्माण जैसे औद्योगिक क्षेत्रक शामिल हैं। 
  • सतत विकास: नवीकरणीय ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और हरित प्रौद्योगिकी से संबंधित उद्योग जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद करते हैं। 
    • एक ऐसी ही प्रतिबद्धता ‘2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन’ का लक्ष्य हासिल करना भी है। 

भारत में सनराइज क्षेत्रक के समक्ष चुनौतियां 

  • पूंजी तक कम पहुंच: नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) जैसे क्षेत्रकों में बड़ी मात्रा में शुरुआती निवेश की आवश्यकता होती है। 
  • कौशल की कमी: शैक्षिक संस्थानों के प्रशिक्षण और उद्योग जगत की मांग में समन्वय नहीं होने के कारण सनराइज क्षेत्रक को कुशल कार्यबल नहीं मिल पाता है। 
  • तकनीकी चुनौतियां: सेमीकंडक्टर जैसी क्रिटिकल प्रौद्योगिकियों और घटकों को भारत बड़े पैमाने पर आयात करता है। किन्हीं वजहों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न होने पर इन प्रौद्योगिकियों का आयात या तो रुक जाता है या कम हो जाता है।

भारत में सनराइज क्षेत्रक को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम

  • नीतियां/ पहलें: मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्टार्टअप इंडिया, नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना जैसी पहलें आरंभ की गई हैं। 
  • वित्तीय प्रोत्साहन: एडवांस्ड बैटरी विनिर्माण सहित कई क्षेत्रकों में उत्पादन से संबंद्ध प्रोत्साहन (PLIs) योजना; इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए FAME योजना शुरू की गई हैं।
  • अवसंरचना का विकास: इस क्षेत्रक की प्रमुख पहलों में नवीकरणीय ऊर्जा पार्क, बल्क ड्रग पार्क, स्मार्ट सिटी मिशन, आदि शामिल हैं। 
  • अनुसंधान एवं विकास: राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, नेशनल मिशन ऑन ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी एंड बैटरी स्टोरेज, आदि शुरू किए गए हैं। 
  • Tags :
  • मेक इन इंडिया
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  • उत्पादन से संबंद्ध प्रोत्साहन (PLIs) योजना
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