यह रिपोर्ट “एंब्रेसिंग क्वांटम इकोनॉमी: पाथवे फॉर बिजनेस लीडर्स” शीर्षक से जारी की गई है। WEF की इस रिपोर्ट में क्वांटम प्रौद्योगिकियों की आर्थिक क्षमता को उजागर किया गया है (इन्फोग्राफिक देखें)।
- विश्व आर्थिक मंच का क्वांटम अर्थव्यवस्था नेटवर्क (QEN) संबंधित हितधारकों को क्वांटम प्रौद्योगिकियों के आर्थिक प्रभाव को समझने और उसके लिए तैयार करने में मदद करता है।
- गौरतलब है कि QEN चौथी औद्योगिक क्रांति केंद्र का हिस्सा है।
क्वांटम प्रौद्योगिकियों के बारे में
इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- क्वांटम कंप्यूटिंग: यह कंप्यूटर विज्ञान का एक उभरता हुआ क्षेत्र है। इसके तहत पारंपरिक कंप्यूटरों की क्षमताओं से आगे की समस्याओं या गणनाओं को हल करने के लिए क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग किया जाता है।

- क्वांटम सेंसिंग: दशकों से प्रयोग में लाए जा रहे क्वांटम सेंसर असाधारण संवेदनशीलता और सटीकता प्रदान करते हैं।
- इसमें परमाणु घड़ियां और एक्सेलेरोमीटर जैसे उपकरण शामिल हैं, जिनका उपयोग नेविगेशन, मेडिकल इमेजिंग और जियोफिजिक्स में किया जाता है।
- क्वांटम संचार: यह सैद्धांतिक रूप से ब्रेक नहीं किए जा सकने वाले एन्क्रिप्शन के माध्यम से डेटा का सुरक्षित ट्रांसमिशन सुनिश्चित करता है। यह भविष्य में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने और नए उत्पादों एवं सेवाओं के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
क्वांटम प्रौद्योगिकियों को अपनाने और उनकी क्षमता को साकार करने में तकनीकी चुनौतियां
- त्रुटि दर: क्यूबिट (क्वांटम बिट्स) काफी संवेदनशील होते हैं। इसलिए, पर्यावरणीय हस्तक्षेप और डिकोहेरेंस के कारण इनमें त्रुटियां हो सकती हैं।
- स्केलेबिलिटी: क्यूबिट्स में बिना किसी त्रुटि के और कम-से-कम संसाधनों से बड़े पैमाने पर क्वांटम कंप्यूटर का निर्माण करना अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।
- इंटरऑपरेबिलिटी: क्वांटम सिस्टम को पारंपरिक सिस्टम के साथ सहज एकीकरण की आवश्यकता होती है, जिसके लिए हाइब्रिड मॉडल और नए सॉफ़्टवेयर की आवश्यकता पड़ती है।
- संवेदनशीलता और सटीकता: तापमान में परिवर्तन और विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप के कारण इसका प्रदर्शन बाधित होता है, जिससे सेंसर की सटीकता भी प्रभावित होती है।
- सुरक्षा और विश्वसनीयता: लंबी दूरी तक सुरक्षित व विश्वसनीय क्वांटम संचार सुनिश्चित करने में सिग्नल की हानि और अनपेक्षित व्यवधान जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
इस रिपोर्ट में क्वांटम अर्थव्यवस्था की क्षमता को साकार करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी, शिक्षा में निवेश और मजबूत विनियामकीय फ्रेमवर्क जैसे उपाय सुझाए गए हैं।