विलय का सिद्धांत (Doctrine of Merger) | Current Affairs | Vision IAS
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    Posted 21 Jan 2025

    39 min read

    विलय का सिद्धांत (Doctrine of Merger)

    हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ‘विलय के सिद्धांत’ को रेखांकित किया।

    ‘विलय के सिद्धांत’ के बारे में

    • सुप्रीम कोर्ट ने ‘कुन्हयाम्मद बनाम केरल राज्य, 2000’ मामले में इस सिद्धांत की व्याख्या की थी।
    • इस सिद्धांत के अनुसार, एक समय में एक ही विषय पर एक से अधिक डिक्री या आदेश लागू नहीं हो सकते।
    • इसलिए, जब एक उच्चतर न्यायालय, किसी अधीनस्थ अदालत के आदेश, डिक्री, या निर्णय को रद्द, संशोधित, या पुष्टि करते हुए निपटारा करता है, तो निचली अदालत के आदेश का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और वह उच्चतर न्यायालय के आदेश में समाहित हो जाता है।  
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    • विलय का सिद्धांत
    • डिक्री

    एंटिटी लॉकर

    केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग ने एंटिटी लॉकर विकसित किया है।

    एंटिटी लॉकर के बारे में

    • यह सुरक्षित और क्लाउड-आधारित समाधान है। यह बड़े संगठनों, निगमों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों आदि के लिए डाक्यूमेंट्स को स्टोर, साझा एवं सत्यापन करना आसान बनाता है।
      • यह भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का एक महत्वपूर्ण घटक है।
    • एंटिटी लॉकर ऑफर:
      • सरकारी डेटाबेस के साथ एकीकरण के माध्यम से डाक्यूमेंट्स को रियल टाइम आधार पर प्राप्त और सत्यापित किया जा सकता है। 
      • गोपनीय जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डॉक्यूमेंट के धारक की सहमति प्राप्त करना अनिवार्य  किया गया है। 
      • डॉक्यूमेंट प्राप्त करने के लिए आधार नंबर से सत्यापन किया जाएगा, ताकि भविष्य में गड़बड़ी होने पर जवाबदेही तय की जा सके। 
      • इसमें 10GB की एन्क्रिप्टेड क्लाउड स्टोरेज सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही डाक्यूमेंट्स को सत्यापित करने के लिए कानूनी रूप से वैध डिजिटल सिग्नेचर की आवश्यकता होगी। 
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    एडेलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर

    विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक बैठक शुरू होने से पहले वार्षिक एडेलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर जारी किया गया।

    • इसे एडेलमैन ट्रस्ट द्वारा जारी किया गया है। यह सर्वेक्षण 28 देशों में किया गया है। यह सरकार, मीडिया, व्यवसाय और गैर-सरकारी संगठन जैसे समाज के सभी हितधारकों पर लोगों के विश्वास (ट्रस्ट) के प्रभाव का अध्ययन है।

    सर्वेक्षण के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

    • कम-आय वाले आबादी समूह के लोगों के सरकार, व्यवसाय, मीडिया आदि पर विश्वास के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। प्रथम दो स्थानों पर क्रमशः चीन और इंडोनेशिया हैं। 
      • पिछले सर्वेक्षण की तुलना में भारत की रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है। 
    • उच्च आय वर्गों का विश्वास के मामले में भारत चौथे स्थान पर है। 
    • जब अन्य देशों में भारतीय मुख्यालय वाली (भारत की) कंपनियों पर विश्वास की बात आती है, तो भारत 13वें स्थान पर है। 
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    • विश्व आर्थिक मंच (WEF)

    प्रलय मिसाइल और पिनाका रॉकेट

    टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ और लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली ‘पिनाका रॉकेट प्रणाली’ गणतंत्र दिवस परेड 2025 में शामिल होंगी।

    प्रलय मिसाइल के बारे में

    • यह सतह से सतह पर मार करने वाली ‘कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM)’ है। 
    • इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है।
    • इस मिसाइल की मारक क्षमता 150-500 किलोमीटर है। इसे मोबाइल लांचर से दागा जा सकता है।
    • इस मिसाइल के गाइडेंस सिस्टम में अत्याधुनिक नेविगेशन प्रणाली और एकीकृत एवियोनिक्स शामिल हैं।

    पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) प्रणाली के बारे में

    • यह लंबी दूरी की आर्टिलरी प्रणाली है। यह 75 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है।
    • इसे DRDO ने विकसित किया है। पेलोड, मारक क्षमता और रेंज के आधार पर इस मिसाइल के कई संस्करण हैं।
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    • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
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    माउंट इबू

    इंडोनेशिया के सुदूर हेलमहेरा द्वीप पर स्थित माउंट इबू में इस महीने 1,000 बार ज्वालामुखीय प्रस्फुटन हुआ। 

    माउंट इबू के बारे में: 

    • माउंट इबू एक सक्रिय ज्वालामुखी है। यह पैसिफिक रिंग ऑफ फायर क्षेत्र का हिस्सा है, जो लगातार ज्वालामुखीय गतिविधि और भूकंप के लिए जाना जाता है। 
      • रिंग ऑफ फायर को सर्कम-पैसिफिक बेल्ट भी कहा जाता है। यह प्रशांत महासागर के किनारे का एक हिस्सा है, जहां कई सक्रिय ज्वालामुखी और भूकंपीय गतिविधियां घटित होती रहती हैं। 
    • इंडोनेशिया में अनेक ज्वालामुखी हैं, क्योंकि यह अभिसारी टेक्टोनिक प्लेटों, विशेष रूप से प्रशांत, यूरेशियन और ऑस्ट्रेलियाई प्लेटों पर स्थित है। 
    • इंडोनेशिया में अन्य हालिया ज्वालामुखी प्रस्फुटन: माउंट सिनाबुंग और माउंट मेरापी। 
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    • इंडोनेशिया
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    इंडियन बाइसन (गौर)

    हाल ही में, झारखंड वन विभाग ने पलामू टाइगर रिजर्व में बाइसन की घटती आबादी की समस्या को दूर करने के लिए एक अध्ययन शुरू किया।

    इंडियन बाइसन के बारे में

    • विशेषताएं: विशालकाय शरीर, बहुत मजबूत और सामाजिक प्राणी।
      • यह एक चराई करने वाला पशु है तथा पत्ते, फल, तने, फूल और बीज खाता है। 
      • यह स्वभाव से दिन के समय सक्रिय रहने वाला जीव है।
      • मादा बाइसन की गर्भावस्था अवधि मनुष्यों के समान 9 महीने की होती है। 
    • पर्यावास: पश्चिमी घाट। 
      • ये ज्यादातर सदाबहार वनों और आर्द्र पर्णपाती वनों में पाए जाते हैं। 
      • ये आमतौर पर पहाड़ी की तलहटी में ही रहते हैं।
    • खतरे: आहार की कमी, अवैध शिकार आदि।
    • संरक्षण की स्थिति: IUCN (वल्नरेबल); वन्यजीव संरक्षण अधिनियम1972 (अनुसूची-I) तथा CITES (परिशिष्ट-I)।
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    • इंडियन बाइसन
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    चिंचोली वन्यजीव अभयारण्य

    हाल ही में, कर्नाटक वन विभाग ने चिंचोली वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित शेरिबिकनहल्ली गांव को स्थानांतरित करने के लिए वार्तालाप शुरू की।

    चिंचोली वन्यजीव अभयारण्य के बारे में

    • अवस्थिति: कलबुर्गी जिला, उत्तरी कर्नाटक।
      • 2011 में इसे अभयारण्य घोषित किया गया था।
      • यह दक्षिण भारत का पहला शुष्क भूमि वन्यजीव अभयारण्य है।
    • वनस्पति: इसके मध्य में शुष्क पर्णपाती और आर्द्र पर्णपाती वन पाए जाते हैं तथा किनारों पर बबूल व सागौन के वृक्ष पाए जाते हैं।
    • प्रमुख वनस्पतियां: रेड सैंडर्स और चंदन।
    • मुख्य जीव: ब्लैक बक, चार सींग वाला मृग, फ्रूट बैट, लकड़बग्घा, भारतीय भेड़िया आदि।
    • अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:
      • चंद्रमपल्ली बांध: यह इस वन्यजीव अभयारण्य को जल उपलब्ध कराता है।
      • स्थानीय जनजातियां: लम्बानी तांडा। 
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    • चिंचोली वन्यजीव अभयारण्य
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    सीएआर टी-सेल थेरेपी (CAR T-cell Therapy)

    केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने रक्त कैंसर के इलाज के लिए दूसरी लिविंग ड्रग्स ‘क्वारटेमी’ को मंजूरी दे दी है। ‘क्वारटेमी’ कैमेरिक एंटीजन रिसेप्टर-टी (Chimeric Antigen Receptor: CAR-T) सेल थेरेपी है। 

    • "लिविंग ड्रग्स" एक ऐसी चिकित्सा है, जिसमें रोगी की कोशिकाओं को निकाला जाता है, उन्हें संशोधित किया जाता है, और फिर उन्हें रोगी के शरीर में पुनः स्थापित किया जाता है।

    सीएआर टी-सेल थेरेपी के बारे में

    • CAR-T उपचार, T-कोशिका नामक प्रतिरक्षी कोशिकाओं को कैंसर से लड़ने के लिए प्रयोगशाला में संपादित (एडिट) करने का एक तरीका है। इसमें रोगी की टी-कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करने और उन पर आक्रमण करने के लिए आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किया जाता है।
      • टी-कोशिकाएं विशेष कोशिकाएं हैं। ये श्वेत रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार है। इनका प्राथमिक कार्य साइटोटोक्सिक है, अर्थात अन्य कोशिकाओं को मारना।
    • T कोशिकाओं को रोगी के रक्त से लिया जाता है। फिर उन्हें मानव निर्मित रिसेप्टर (CAR कहा जाता है) बनाने के लिए प्रयोगशाला में एक जीन जोड़कर बदल दिया जाता है।
      • CAR वे प्रोटीन हैं, जो टी-कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं पर मौजूद विशिष्ट प्रोटीन को पहचानने और उनसे जुड़ने में सहायता करते हैं।
    • कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन्हें नष्ट करने के लिए CAR-T कोशिकाओं का फिर रोगी के शरीर में वापस प्रवेश करा दिया जाता है।
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    • कैमेरिक एंटीजन रिसेप्टर-टी
    • CAR-T सेल थेरेपी
    • लिविंग ड्रग्स
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