ऑक्सफैम ने "टेकर्स नॉट मेकर्स: द अनजस्ट पॉवर्टी एंड अनअर्न्ड वेल्थ ऑफ कोलोनिअलिज़्म" नामक रिपोर्ट प्रकाशित की | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

    ऑक्सफैम ने "टेकर्स नॉट मेकर्स: द अनजस्ट पॉवर्टी एंड अनअर्न्ड वेल्थ ऑफ कोलोनिअलिज़्म" नामक रिपोर्ट प्रकाशित की

    Posted 21 Jan 2025

    13 min read

    रिपोर्ट में इस तथ्य को रेखांकित किया गया है कि अरबपतियों की संपत्ति अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ गई है, जबकि दुनिया भर में गरीबी में रहने वाले लोगों को कई संकटों का सामना करना पड़ रहा है।

    रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:

    • अरबपतियों की संख्या में वृद्धि: 2024 में अरबपतियों की संपत्ति 2023 की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ी है।
      • विश्व में 3.5 बिलियन से अधिक लोग अभी भी प्रतिदिन 6.85 डॉलर से कम पर जीवन यापन कर रहे हैं। इसके विपरीत, सबसे अमीर 1% लोगों के पास विश्व की 95% से अधिक आबादी की तुलना में बहुत अधिक संपदा है।
    • औपनिवेशिक विरासत: सर्वाधिक धनी लोगों के पास जो विपुल मात्रा में संपत्ति है, वह अनर्जित प्रकृति की है, यह यकीनन उपनिवेशवाद की देन है।
      • यूनाइटेड किंगडम ने 1765 से 1900 के बीच उपनिवेशवाद के दौरान भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की निकासी की थी। इसमें से 33.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों के पास गए थे।
      • उपनिवेशवाद एक ऐतिहासिक (ऐतिहासिक उपनिवेशवाद) और एक आधुनिक समय की घटना (नव-उपनिवेशवाद) दोनों है।
    • ऐतिहासिक उपनिवेशवाद का वर्तमान असमानता पर प्रभाव:
      • शोषण और गहन आर्थिक असमानता, मनमाने तरीके से औपनिवेशिक देशों के विभाजन के कारण सीमाओं पर संघर्ष आदि।
      • सामाजिक विभाजन (जैसे- नस्लवाद), ग्लोबल साउथ में भू-स्वामित्व का संकेंद्रण व खराब स्वास्थ्य संकेतक; अनुसंधान और वित्त-पोषण के क्षेत्र में विश्व स्तर पर मौजूद असमानताएं आदि।
    • समकालीन समय में औपनिवेशिक विरासत (नव-उपनिवेशवाद):
      • डिजिटल उपनिवेशवाद: ग्लोबल नॉर्थ की शक्तिशाली कंपनियों ने डिजिटल संसाधनों पर अपना अधिपत्य बनाए रखा हुआ है।
      • शोषणकारी कॉर्पोरेट संरचनाएं: लाभ कमाने के लिए ग्लोबल साउथ में गरीब श्रमिकों का शोषण करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां।
      • वैश्विक व्यवस्थाओं को नियंत्रित करने वाली संस्थाओं में शक्तियों का असमान बंटवारा: वैश्विक गवर्नेंस संस्थाओं पर अनौपचारिक रूप से ग्लोबल नॉर्थ का प्रभुत्व है।

    औपनिवेशिक काल के दौरान भारत से धन की निकासी

    • दादाभाई नौरोजी के "धन की निकासी" सिद्धांत के अनुसार, भारत से धन की निकासी के निम्नलिखित स्रोत थे:
      • उच्च कर: अत्यधिक भू-राजस्व के कारण ब्रिटिश शासन कृषि से बहुत अधिक आय अर्जित कर रहा था। 
      • व्यापारिक शोषण: भारत ने कच्चे माल की आपूर्ति की और ब्रिटिशों से तैयार सामान खरीदा, जिससे स्थानीय उद्योग नष्ट हो गए।
        • वर्ष 1750 में वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25% थी, लेकिन 1900 तक यह घटकर मात्र 2% रह गई थी। 
      • अन्य स्रोत: होम चार्ज (भारतीय राजस्व से ब्रिटिश प्रशासन का वित्त-पोषण), भारत से अर्जित लाभ को वापस ब्रिटेन भेजना, मुद्रा हेरफेर आदि।
    • Tags :
    • धन की निकासी
    • नव-उपनिवेशवाद
    • ऐतिहासिक उपनिवेशवाद
    • ब्रिटिश शासन
    • ब्रिटेन
    Watch News Today
    Subscribe for Premium Features