भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को कम करने की दिशा में विकसित हो रही है। इसमें टेलीमेडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड और AI संचालित निदान का लाभ उठाया जा रहा है।
भारत की डिजिटल स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना की मुख्य विशेषताएं:
- इंटरऑपरेबिलिटी और मानकीकरण: हितधारकों के बीच निर्बाध डेटा विनिमय सुनिश्चित करना।
- उदाहरण के लिए - आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य विशिष्ट स्वास्थ्य IDs के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और रोगियों को एकीकृत करके एक राष्ट्रव्यापी डिजिटल स्वास्थ्य पारितंत्र बनाना है।
- सार्वजनिक-निजी सहयोग: नवाचार और विस्तार के लिए साझेदारी को प्रोत्साहित करना।
- उदाहरण के लिए- हेल्थ फैसिलिटी रजिस्टर को केंद्रीय रूप से बनाए रखा जाएगा। साथ ही, भारत में निजी एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के मानकीकृत डेटा विनिमय की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- हेल्थ फैसिलिटी रजिस्टर: यह भारत में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की रिपॉजिटरी है।
- उदाहरण के लिए- हेल्थ फैसिलिटी रजिस्टर को केंद्रीय रूप से बनाए रखा जाएगा। साथ ही, भारत में निजी एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के मानकीकृत डेटा विनिमय की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- वहनीयता और पहुंच पर ध्यान केंद्रित करना: स्वास्थ्य सेवा को समावेशी बनाने के लिए डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाना।
- उदाहरण के लिए - ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा दूरदराज के क्षेत्रों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा से जोड़ती है। इससे लाखों रोगियों को परामर्श देना संभव हो पाता है।
डिजिटल स्वास्थ्य क्रांति में भारत एक वैश्विक पथ-प्रदर्शक:
- भारत अपनी डिजिटल अवसंरचना और बड़ी आबादी के कारण वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल समाधान विकसित करने के लिए एक आदर्श परीक्षण स्थल है।
- दुनिया भर में भारत की डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना का अनुकरण किया जा सकता है। ऐसा करके बढ़ती लागत, असमान पहुंच और चिरकालिक बीमारियों के बोझ जैसी सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है।
- भारत के क्रॉस-सेक्टर साझेदारी और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) जैसे सफल मॉडल्स को अन्य क्षेत्रों (विशेषकर निम्न व मध्यम आय वाले देशों) के लिए अपनाया जा सकता है।
भारत की डिजिटल स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना से संबंधित पहलें
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