राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन 2025 का उद्देश्य जनजातीय समुदायों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करना है।
- इस सम्मेलन का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय (MoTA) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW) द्वारा ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ के तहत किया गया है।
जनजातियों के लिए स्वास्थ्य सेवा से जुड़े मुद्दे

- भौगोलिक दूरी: उदाहरण के लिए- पहाड़ी इलाकों व घने जंगलों में निवास के कारण वहां स्वास्थ्य सुविधाएं स्थापित करना और उनका रख-रखाव करना कठिन हो जाता है।
- अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: उदाहरण के लिए- दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य पेशेवरों की सीमित पहुंच के कारण निदान में देरी होती है, अनुचित उपचार की समस्या सामने आती है आदि।
- भाषा संबंधी बाधाएं: उदाहरण के लिए- देशी भाषाओं में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी तक सीमित पहुंच के कारण तथ्यों के आधार पर निर्णय लेने में बाधा आती है।
- सांस्कृतिक संवेदनशीलता और पारंपरिक प्रथाएं: उदाहरण के लिए- जनजातियों की स्वदेशी उपचार पद्धतियों को स्वीकार करने और एकीकृत करने में विफलता के कारण प्रायः जनजातीय आबादी के बीच अविश्वास एवं अनिच्छा उत्पन्न होते हैं।
उठाए जाने वाले कदम
- जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति को बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप का विकास किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए- टेलीमेडिसिन, मोबाइल मेडिकल यूनिट का उपयोग करना आदि।
- सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील और समावेशी स्वास्थ्य देखभाल मॉडल्स को बढ़ावा देना चाहिए। ये मॉडल्स जनजातियों की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों एवं मान्यताओं का सम्मान कर सकते हैं और उन्हें मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल में शामिल कर सकते हैं।
- लक्षित हस्तक्षेप अपनाने चाहिए। कुपोषण, प्रजनन स्वास्थ्य और पारंपरिक खाद्य प्रथाओं पर ध्यान देते हुए दुर्लभ बीमारियों, व्यसन एवं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रबंधन के लिए लक्षित हस्तक्षेप किए जाने चाहिए।
जनजातीय स्वास्थ्य के संबंध में किया जाने वाला सुधार निम्नलिखित द्वारा निर्देशित होना चाहिए-
सम्मान (जनजातीय संस्कृति के लिए), प्रासंगिकता (जनजातीय समुदायों के लिए), पारस्परिकता (सीखने और विनिमय की दोतरफा प्रक्रिया के माध्यम से) तथा जिम्मेदारी (सक्रिय सशक्तीकरण के माध्यम से)।