यह निर्णय अमेरिका फर्स्ट एजेंडे को पूरा करने तथा देश के करदाताओं की ओर से विदेशी सहायता की समीक्षा और उसके पुननिर्धारण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। इस निर्णय की नैतिकता को लेकर बहस छिड़ गई है।
विदेशी सहायता के बारे में
- इसके तहत मुख्यतः विकसित देश धन या अन्य संसाधनों को स्वेच्छा से किसी विकासशील देश को भेजता है।
विदेशी सहायता के विविध प्रकार
- द्विपक्षीय सहायता: इसका उद्देश्य गरीब देशों का कल्याण सुनिश्चित करना है।
- बहुपक्षीय सहायता: यह संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों जैसे बहुपक्षीय संस्थानों को प्रदान की जाती है।
- मानवीय सहायता: यह प्राकृतिक एवं मानव-जनित आपदाओं से राहत के लिए प्रदान की जाती है।
- आर्थिक सहायता: यह ऋण, अनुदान, आधिकारिक विकास सहायता (ODA) आदि के रूप में प्रदान की जाती है।
- सुरक्षा सहायता: इसका उद्देश्य सैन्य अनुबंधों आदि को सुगम बनाना होता है।
समृद्ध या विकसित देशों द्वारा सहायता प्रदान करना क्यों जरूरी है?
- मानवता और नैतिकता के मद्देनजर: अन्य देश में बढ़ती असमानताओं के बीच मानवीय पीड़ा या संकट को दूर करने के लिए।
- अतीत की गलतियों को सुधारने का अवसर: विकसित देशों का यह नैतिक दायित्व है कि वे अतीत में की गई अपनी गलतियों को सुधारने के लिए विकासशील देशों को संसाधन प्रदान करें।
- उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन संबंधी वार्ता में साझा लेकिन अलग-अलग उत्तरदायित्वों की अवधारणा को शामिल किया गया है।
- वितरणात्मक न्याय सुनिश्चित करना: वैश्विक समुदाय के स्तर पर सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- उदाहरण के लिए, वैश्वीकरण और आर्थिक रूप से परस्पर निर्भरता के कारण लाभों को साझा करना आवश्यक है।
विदेशी सहायता से जुड़े मुख्य नैतिक मुद्दे
- सहायता का उद्देश्य: क्या सहायता मानवीय उद्देश्यों के लिए दी जाती है या वैश्विक जिम्मेदारी की भावना से या अपने हितों को पूरा करने के लिए? उदाहरण के लिए, विकासशील देशों में क्लिनिकल परीक्षण हेतु सहायता देना।
- सहायता का प्रभाव: क्या सहायता का उद्देश्य गरीबी को कम करना है या राजनीतिक हितों को बढ़ावा देना है? उदाहरण के लिए, चीन की ऋण जाल कूटनीति।
विदेशी सहायता के पीछे नैतिक मंशा को बढ़ावा देने के तरीके
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