हाल ही में, भारतीय विदेश सचिव ने चीन की यात्रा की और चीन के विदेश सचिव के साथ बैठक की। इस अवसर पर दोनों देशों ने लोक कूटनीतिक प्रयासों को बढ़ाने तथा विविध स्मरणीय गतिविधियां संचालित करने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों देशों द्वारा की गई अन्य प्रमुख घोषणाएं:
- 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की जाएगी।
- सीमा-पार नदियों से संबंधित जल विज्ञान संबंधी डेटा के आदान-प्रदान और अन्य सहयोग को फिर से शुरू किया जाएगा।
- दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की गई।

- अन्य: लोगों के बीच संपर्क, मीडिया और थिंक टैंक के बीच वार्ताएं, आदि।
भारत-चीन संबंधों में चिंता के प्रमुख क्षेत्र
- अनिश्चित सीमाएं: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कोई आपसी समझौता नहीं, हुआ है, अक्साई चिन पर विवाद है आदि।
- गलवान घाटी (लद्दाख, 2020), तवांग (अरुणाचल प्रदेश, 2022) आदि में हिंसक झड़पों की घटनाएं देखी गई हैं।
- असमान व्यापार: चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2022-23 के 83.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था।
- चीन-पाकिस्तान गठजोड़: चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है।
- चीन की मुखरता: विशेष रूप से दक्षिण एशिया में स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स की नीति, मालदीव व श्रीलंका में कूटनीतिक विकास कार्य, दक्षिण चीन सागर पर दावा जैसी रणनीतियों के माध्यम से भारत-प्रशांत क्षेत्र में असुरक्षा पैदा होती है।
चीन से निपटने के लिए आगे की राह
- सीमा-पार मुद्दे का समाधान: LAC से सटे देपसांग और डेमचोक पर हाल ही में हुए समझौतों के माध्यम से समाधान किया जा सकता है।
- राजनयिक जुड़ाव: ब्रिक्स, SCO जैसे द्विपक्षीय या क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से संचार के ओपन चैनल बनाए रखना।
भारत-चीन संबंधों का अवलोकन
|