इन ऐतिहासिक नियमों का उद्देश्य भारत के सभी क्षेत्रकों में भारतीय मानक समय (IST) के उपयोग को मानकीकृत और अनिवार्य बनाना है।
विधिक माप विज्ञान (भारतीय मानक समय) नियम, 2025 के मसौदे के बारे में
- अनिवार्य समय संदर्भ (Mandatory time reference): वाणिज्य, परिवहन, लोक प्रशासन, कानूनी अनुबंध और वित्तीय परिचालन सहित सभी क्षेत्रकों में भारतीय मानक समय (IST) ही अनिवार्य समय संदर्भ होगा।
- प्रतिबंध: कोई भी व्यक्ति/ संस्था आधिकारिक/ व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए IST के अलावा अन्य समय संदर्भ का उपयोग, प्रदर्शन या रिकॉर्ड नहीं करेगा/ करेगी।
- बशर्ते कि जब तक कोई कानून/ सरकारी निर्देश/ दिशा-निर्देश इसकी अनुमति देते हो।
- टाइम सिंक्रोनाइजेशन प्रोटोकॉल को अपनाना: सरकारी कार्यालयों के लिए नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल और प्रिसिजन टाइम प्रोटोकॉल आदि को अपनाना अनिवार्य है।
- साइबर सुरक्षा: रेसिलिएंस सुनिश्चित करने के लिए, साइबर सुरक्षा उपाय और वैकल्पिक संदर्भ तंत्र निर्धारित किए गए हैं।
- अधिकृत अपवाद: पूर्व अनुमति के साथ निर्धारित उद्देश्यों जैसे खगोल विज्ञान, नेविगेशन, वैज्ञानिक अनुसंधान आदि के लिए वैकल्पिक टाइम स्केल (GMT, आदि) के उपयोग की अनुमति है।
इन नये मसौदा नियमों का महत्त्व
- यह महत्वपूर्ण अवसंरचना के सिंक्रोनाइजेशन में सुधार करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है।
- डिजिटल उपकरणों और सार्वजनिक सेवाओं के सिंक्रोनाइजेशन से विश्वसनीय एवं कुशल सेवाएं सुनिश्चित होती हैं।
- इससे सटीक वित्तीय लेन-देन और रिकॉर्ड रखने में एक सामंजस्य सुनिश्चित होगा।
भारतीय मानक समय (IST) के बारे में
- भारत की केंद्रीय मध्याह्न रेखा (अर्थात मिर्जापुर से गुजरने वाली 82°30' पूर्व मध्याह्न रेखा) को मानक मध्याह्न रेखा या IST के रूप में माना जाता है। IST का प्रबंधन और मेंटेनेंस CSIR-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) द्वारा किया जाता है।
- केंद्रीय मध्याह्न रेखा: यह मिर्जापुर से गुजरने वाली 82°30' पूर्व मध्याह्न रेखा है।
- यह ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) से 5 घंटे 30 मिनट आगे है। GMT को अब यूनिवर्सल कोऑर्डिनेटेड टाइम (UTC) कहा जाता है।
- प्रधान मध्याह्न रेखा (0° देशांतर) पर स्थानीय समय को GMT के नाम से जाना जाता है।
देशांतर और समय:
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