इस अध्ययन का शीर्षक 'भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकलन और मापन' है। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) ने जारी किया है।
- यह अध्ययन डिजिटल अर्थव्यवस्था के मापन के लिए आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) तथा एशियाई विकास बैंक (ADB) के अप्रोच का उपयोग करता है।
अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर: (इन्फोग्राफिक देखिये)

- क्षेत्रीय संभावनाएं: सूचना व संचार प्रौद्योगिकी (ICT) क्षेत्रकों से आगे बढ़ते हुए डिजिटल मध्यवर्तियों और प्लेटफॉर्म्स द्वारा डिजिटल प्रसार एवं पहुंच को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- आर्थिक संवृद्धि संबंधी संभावनाएं: भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में दोगुनी तेजी से बढ़ सकती है।
- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2024-25 तक बढ़कर 13.42% होने की संभावना है।
- पारंपरिक क्षेत्रकों का डिजिटलीकरण: डिजिटलीकरण में एकरूपता का अभाव है।
- उदाहरण के लिए- बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (BFSI) क्षेत्रक में 95% से अधिक भुगतान लेन-देन डिजिटल हैं। हालांकि, ऋण जैसी अन्य वित्तीय सेवाएं कम डिजिटल हैं।
रिपोर्ट में की गई महत्वपूर्ण सिफारिशें:
- डिजिटल साक्षरता और कौशल: सहयोगात्मक प्रयास अपनाने चाहिए, जैसे- प्रधान मंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA)।
- विनियामक अनिश्चितता को न्यूनतम करना: साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए नीतियों का निर्माण करना चाहिए और डेटा संबंधी कमियों को दूर करना चाहिए।
- साइबर सुरक्षा और विश्वास को बढ़ावा: साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना चाहिए, अंतर-देशीय सहयोग को बेहतर करना चाहिए, अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना चाहिए आदि।
- उच्च गुणवत्ता वाले ब्रॉडबैंड को सर्वव्यापी बनाना: उपकरणों और डेटा सेवाओं की वहनीयता सुनिश्चित करने के लिए आपूर्ति पक्ष के प्रयासों को मांग पक्ष के हस्तक्षेपों के साथ संयोजित करना चाहिए।