चरम जलवायु परिस्थितियां ग्रीनलैंड में मौलिक पारिस्थितिक परिवर्तन का कारण बन रही हैं | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

चरम जलवायु परिस्थितियां ग्रीनलैंड में मौलिक पारिस्थितिक परिवर्तन का कारण बन रही हैं

Posted 30 Jan 2025

13 min read

प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चला है कि चरम मौसम की घटनाओं ने ग्रीनलैंड की झीलों को कार्बन सिंक से कार्बन डाइऑक्साइड के बड़े स्रोतों में बदल दिया है। इससे उत्सर्जन में 350% की वृद्धि हुई है।

अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:

  • पश्चिमी ग्रीनलैंड की झीलों में बदलाव: चरम मौसम के कारण 2022 में, पश्चिमी ग्रीनलैंड में 7,500 से अधिक झीलों के जल का रंग भूरा हो गया था और ये झीलें कार्बन उत्सर्जित करने लगी थीं। साथ ही, पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से आर्गेनिक कार्बन निर्मुक्त होने लगी। इससे ये पर्माफ्रॉस्ट कार्बन सिंक से कार्बन उत्सर्जक में बदल गए। 
  • कारक: वायुमंडलीय नदियों (Atmospheric rivers) के कारण 2022 में सामान्य से अधिक तापमान और वर्षा में वृद्धि देखी गई।

वायुमंडलीय नदियां क्या है?

  • राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार वायुमंडलीय नदियां आकाश में नदियों की तरह होती हैं। इन्हें ‘फ्लाइंग रिवर्स’ भी कहा जाता है। ये वायुमंडल में अपेक्षाकृत लंबे व संकीर्ण क्षेत्र होते हैं, जो अधिकांश जल वाष्प को उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बाहर ले जाते हैं।
  • वायुमंडलीय नदियां बहिरुष्णकटिबंधीय चक्रवात (Extratropical Cyclones) प्रणाली का हिस्सा हैं। वायुमंडलीय नदियां आमतौर पर बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के शीत वाताग्र के आगे निचले वायुमंडल में प्रबल वेग से चलने वाली जेट स्ट्रीम के क्षेत्र में मौजूद होती हैं।
  • वायुमंडलीय नदियों के प्रभाव 
    • वर्षा में भूमिका: इनसे वर्षा अधिक होती है, लेकिन ये बाढ़ और गर्मी के खतरे भी पैदा कर सकती है। इससे पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है।
      • उदाहरण के लिए, 1985 और 2020 के बीच मानसून के मौसम में भारत की 10 सबसे गंभीर बाढ़ों में से 7 वायुमंडलीय नदियों से ही जुड़ी थीं। इनमें 2013 में उत्तराखंड और 2018 में केरल में आई बाढ़ भी शामिल हैं।

जलवायु परिवर्तन का वायुमंडलीय नदियों पर प्रभाव

  • बार बार घटित होना: ग्लोबल वार्मिंग के कारण सदी के अंत तक ग्रीनलैंड, उत्तरी अमेरिका और पूर्वी एशिया जैसे क्षेत्रों में वायुमंडलीय नदियों में 50-290% तक की वृद्धि हो सकती है।
  • दक्षिण एशियाई मानसून: तापमान में वृद्धि से नमी का संचरण बढ़ेगा। इससे भारत में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ेंगी। 
  • हिंद महासागर का गर्म होना: समुद्र का गर्म तापमान और वेपर प्रेशर डेफिसिट (VPD) वाष्पीकरण को बढ़ाता है। इससे वायुमंडलीय नदियों के निर्मित होने की घटनाओं में बढ़ोतरी होने लगती है।
  • ध्रुव की ओर विस्थापन: समुद्री सतह के तापमान में परिवर्तन के कारण वायुमंडलीय नदियां ध्रुवों की ओर 6-10 डिग्री तक खिसक रही हैं। 
  • ला नीना प्रभाव: ला नीना वॉकर सर्कुलेशन को मजबूत करता है, उष्णकटिबंधीय वर्षा पेटी का विस्तार करता है और वायुमंडलीय नदियों को ध्रुवों की ओर ले जाता है।
  • Tags :
  • वॉकर सर्कुलेशन
  • वायुमंडलीय नदियाँ
  • जेट स्ट्रीम
  • ग्रीनलैंड झील
Watch News Today
Subscribe for Premium Features