हाल ही में, प्रधान मंत्री ने बताया कि वैश्विक स्तर पर हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है, और 5 से 19 वर्ष के बच्चों व किशोरों में इसके मामले चार गुना बढ़ गए हैं। उन्होंने यह बात 2022 के WHO के आंकड़ों के आधार पर कही।
मोटापा के बारे में
- WHO के अनुसार, मोटापा शरीर में असामान्य या अत्यधिक वसा का संचय है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है।
- मोटापे को वर्गीकृत करने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) का उपयोग किया जाता है। इसकी गणना व्यक्ति के वजन (किलोग्राम) को उसकी लंबाई (वर्ग मीटर) से विभाजित करके की जाती है (kg/m²)।
- 25 या इससे अधिक BMI वाले व्यक्ति को अधिक वजन वाला माना जाता है।
- 30 या इससे अधिक BMI वाले व्यक्ति को मोटापे की श्रेणी में रखा जाता है।
- मोटापे को वर्गीकृत करने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) का उपयोग किया जाता है। इसकी गणना व्यक्ति के वजन (किलोग्राम) को उसकी लंबाई (वर्ग मीटर) से विभाजित करके की जाती है (kg/m²)।
- मोटापे का स्वास्थ्य पर प्रभाव: हृदय रोग में वृद्धि, मधुमेह, कैंसर, तंत्रिका संबंधी विकार, श्वसन संबंधी गंभीर बीमारियां, आदि।
NFHS-5 (2019-2021) के अनुसार, भारत में मोटापे की स्थिति
- कुल मिलाकर, 24% महिलाएं और 23% पुरुष अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं।
- अखिल भारतीय स्तर पर, 2015-16 से 2019-21 के बीच 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में अधिक वजन की दर 2.1% से बढ़कर 3.4% हो गई।
भारत में मोटापे को बढ़ावा देने वाले कारक
- उच्च-कैलोरी एवं कम-पोषक तत्व वाले आहार: रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट एवं सैचुरेटेड फैट्स यानी संतृप्त वसा की खपत में वृद्धि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों तक आसान पहुंच, आदि।
- भाग-दौड़ वाली जीवन-शैली: लंबे समय तक बैठे रहना, स्क्रीन के सामने बहुत अधिक समय बिताना, शारीरिक गतिविधियों पर बहुत कम ध्यान देना, आदि।
- आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों का उपयोग: आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें मानव शरीर की चयापचय प्रक्रियाओं को बाधित कर सकती हैं और वजन में अवांछित वृद्धि का कारण बन सकती हैं।
