केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट लायन के तहत लगभग 2,927.71 करोड़ रुपये के वित्त-पोषण को मंजूरी दी है। इसमें गुजरात के जूनागढ़ जिले में एक नेशनल रेफरल सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ (NRC-W) की स्थापना करना भी शामिल है।
नेशनल रेफरल सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ (NRC-W) के बारे में
- इस केंद्र का उद्देश्य वन्यजीवों में बीमारियों की निगरानी करना है, खासकर उन बीमारियों की पहचान करना जो जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती हैं।
- उदाहरण के लिए, 2020 में बेबेसियोसिस के प्रकोप से गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में 23 शेरों की मृत्यु हो गई थी। बेबेसियोसिस शेरों की लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है।
- NRC-W का ध्यान चार मुख्य सिद्धांतों पर होगा: निगरानी, प्रतिक्रिया, रोकथाम और तैयारी या तत्परता।
- नोडल एजेंसी: केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण
संरक्षण संबंधी प्रयास
- प्रोजेक्ट लायन: इसकी शुरुआत 2020 में हुई थी। इसका उद्देश्य एशियाई शेरों के संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसके तहत, पर्यावासों के पुनरुद्धार के साथ-साथ बेहतर निगरानी के लिए रेडियो कॉलर और कैमरों का उपयोग किया जा रहा है।
- एशियाई शेरों की संरक्षण स्थिति:
- IUCN स्थिति: वल्नरेबल
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972: अनुसूची I और IV में शामिल
- CITES: परिशिष्ट I में सूचीबद्ध
- शेरों के संरक्षण के लिए की गई अन्य पहलें:
- इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस (2023)
- ग्रेटर गिर कांसेप्ट: इसमें गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य के अलावा शेरों के लिए नए पर्यावासों का निर्माण करना शामिल है।
- बरदा वन्यजीव अभयारण्य शेरों के लिए “दूसरे पर्यावास” के रूप में उभरा है।
शेर के बारे में
- शेर घासभूमियों और मैदानों में झुंड बनाकर रहते हैं।
- नर शेर गश्त लगाते हुए गंध की मदद से अपना इलाका निर्धारित करते हैं।
- मादाएं जीवन भर झुंड में साथ-साथ रहती हैं, जबकि नर वयस्क होने पर झुंड से अलग हो जाते हैं।
- शेर प्रतिदिन 20 घंटे आराम करते हैं या सोते हैं।
- शेर प्रायः रात में ही शिकार करते हैं।
- शेरों का कोई विशिष्ट प्रजनन काल नहीं होता है, और उनकी गर्भधारण अवधि लगभग 100 से 119 दिनों की होती है।
