विश्व मसाला संगठन ने 10 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मसालों में अधिक मूल्य-वर्धन का सुझाव दिया। भारतीय मसाला बोर्ड ने 2030 तक 10 बिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य रखा है। इसे प्राप्त करने के लिए वैश्विक स्तर पर मूल्य-वर्धित मसालों में भारत की हिस्सेदारी 70% तक बढ़ानी होगी।
- वैश्विक मसाला बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2024 में मात्र 0.7% के साथ 14 बिलियन डॉलर रही है, जबकि चीन की 12% और संयुक्त राज्य अमेरिका की 11% है।
मसालों के संबंध में भारत की स्थिति
- उत्पादन: भारत विश्व का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है।
- भारत में अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन द्वारा सूचीबद्ध 109 मसाला किस्मों में से 75 का उत्पादन होता है।
- प्रमुख मसाला उत्पादक राज्य: मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि।
- निर्यात: भारत मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्ष 2021-22 में भारत से सबसे अधिक निर्यात होने वाला मसाला मिर्च थी।
- प्रमुख निर्यात गंतव्य: चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, बांग्लादेश, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, मलेशिया, यूनाइटेड किंगडम आदि।
प्रमुख चुनौतियां
- कम मूल्य वर्धन: भारत से मसाला निर्यात में मूल्य-वर्धित उत्पाद की हिस्सेदारी केवल 48% है, जबकि शेष (52%) निर्यात कच्चे या साबुत मसाले के रूप में होता है।
- सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां: 98% मसाला उत्पादन लघु किसानों द्वारा किया जाता है, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि होती है।
- कमजोर विनियमन: भारत में स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता (Sanitary & Phytosanitary: SPS) संबंधी सभी मापदंडों को कवर करने वाले राष्ट्रीय मानकों का अभाव है।
- कड़ी वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत को वियतनाम, इंडोनेशिया, ब्राजील, चीन आदि देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
मसालों से संबंधित शुरू की गई पहलें
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