रिपोर्ट में दावा किया गया है कि FTAs करने की भारत की व्यापार रणनीति इसके द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देगी और डिजिटल व्यापार में नए अवसर पैदा करेगी।
मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में
- FTA दो या दो से अधिक देशों या व्यापारिक गुटों के मध्य संपन्न किया जाने वाला एक व्यापारिक समझौता है। इसे मुख्य रूप से व्यापार की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं या दोनों पर आरोपित सीमा शुल्कों और गैर-प्रशुल्क बाधाओं को कम करने या समाप्त करने के लिए संपन्न किया जाता है।
- यह समझौता वस्तुओं (जैसे- कृषि एवं उद्योग से जुड़े उत्पाद) और सेवाओं (जैसे- बैंकिंग, कंस्ट्रक्शन, ट्रेडिंग आदि) के व्यापार को आसान बनाता है। इसके अलावा, बौद्धिक संपदा (IPR) जैसे मुद्दों को भी इसमें शामिल किया जाता है।

FTAs के लाभ
- विदेशी बाजारों तक आसान पहुंच: प्रशुल्क और गैर-प्रशुल्क बाधाएं खत्म होने से व्यापार बढ़ता है।
- लघु और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए अवसर: प्रशुल्क संबंधी दी गई रियायतों से SMEs के उत्पादों के लिए निर्यात के अवसर बढ़ते हैं।
- अन्य: सीमा-पार व्यापार में बाधाएं कम होती हैं, निवेश को बढ़ावा मिलता है, ऑनलाइन व्यापार (ई-कॉमर्स) के नियमों में सुधार होता है, और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलता है।
भारत और FTAs
- SBI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपने निर्यातोन्मुखी घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए मॉरीशस, UAE, ऑस्ट्रेलिया जैसे अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ पिछले पांच वर्षों में 13 FTAs पर हस्ताक्षर किए हैं।
- उदाहरण: भारत-आसियान वस्तु व्यापार समझौता, दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौता, आदि।
- भारत वर्तमान में यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और यूरोपीय संघ के साथ FTAs पर वार्ता कर रहा है।
रिपोर्ट की अन्य बिंदुओं पर एक नजर
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