FTSCs द्वारा मामलों की निपटान दर 96% रही। FTSCs ने बलात्कार और पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में तेजी से कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की है। इस प्रकार, पीड़ितों के लिए न्याय में उल्लेखनीय तेजी दिखाई है।
- लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो), 2012, बच्चों (लड़के व लड़कियों दोनों) के खिलाफ यौन अपराधों से निपटने के लिए एक कठोर अधिनियम है।
फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स (FTSCs) के बारे में
- FTSCs के बारे में: FTSCs योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इस योजना का कार्यान्वयन कानून और न्याय मंत्रालय के तहत न्याय विभाग करता है।
- पृष्ठभूमि: 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश (2019) के बाद पॉक्सो अधिनियम के मामलों के त्वरित निपटारे और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के कार्यान्वयन के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई थी।
- उद्देश्य: देश भर में FTSCs की स्थापना में राज्य सरकारों का समर्थन करना।
- लक्ष्य: अनन्य पोक्सो (e-POCSO) न्यायालयों सहित कुल 790 FTSCs स्थापित किए जाने हैं।
- प्रत्येक FTSC को प्रति तिमाही 41-42 मामलों और वार्षिक रूप से कम-से-कम 165 मामलों का निपटान करना होता है।
- प्रत्येक न्यायालय में 1 न्यायिक अधिकारी और 7 कर्मचारी सदस्य होंगे।
- अवधि: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को 2026 तक बढ़ा दिया है। इस अवधि के लिए निर्भया फंड के तहत कुल वित्तीय परिव्यय 1952.23 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
- फंडिंग पैटर्न
- राज्यों और विधान सभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में केंद्र सरकार 60% का योगदान देती है, जबकि राज्य/ विधान सभा वाले केंद्र शासित प्रदेश सरकार 40% का योगदान देते हैं।
- उत्तरी-पूर्वी और पहाड़ी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में केंद्र सरकार का योगदान 90% है।
FTSCs की आवश्यकता क्यों है?
- सीमित न्यायिक संसाधन: बलात्कार और पोक्सो अधिनियम के मामलों में पीड़ित बच्चे को न्याय मिलने में देरी हो सकती है।
- अपराधियों में भय पैदा करना: मामलों का समय पर निपटारा भविष्य में होने वाली घटनाओं को रोकेगा।
- विधायी ढांचे के साथ संरेखित: ‘दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और पोक्सो अधिनियम’ जांच एवं मुकदमे को पूरा करने के लिए सख्त समय-सीमा निर्धारित करते हैं।
