इस समिति ने रसायन, चमड़ा, परिधान और हस्तशिल्प जैसे श्रम-गहन क्षेत्रकों के लिए भी उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना उपलब्ध कराने की सिफारिश की है। यह सिफारिश भारत के विनिर्माण क्षेत्रक और निर्यात को बढ़ावा देने में PLI योजना की सफलता को देखते हुए की गई है।
उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना के बारे में
- आरंभ: यह योजना 2020 में 1.97 ट्रिलियन रुपये के परिव्यय के साथ शुरू की गई थी।
- यह मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप है। मेक इन इंडिया का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है।
- उद्देश्य: विनिर्माण क्षेत्रक को मजबूत करना, आयात पर निर्भरता कम करना तथा विकास और संधारणीयता के बीच संतुलन स्थापित करना।
- इसमें कवर किए गए क्षेत्रक: इसमें मोबाइल विनिर्माण और निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक घटक, एडवांस्ड केमेस्ट्री सेल (ACC) बैटरी, व्हाइट गुड्स जैसे 14 क्षेत्रक शामिल हैं।
- प्रोत्साहन: पात्र कंपनियों को वृद्धिशील बिक्री पर 4% से 6% तक का प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।
- इसके लिए भारत में पंजीकृत घरेलू और विदेशी, दोनों तरह की कंपनियां प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं।
- दृष्टिकोण: इसमें प्रदर्शन-आधारित अप्रोच अपनाया जाता है, जिससे केवल देश-विदेश के निवेशकों का ध्यान ही नहीं खींचा जाता, बल्कि व्यवसायों को अत्याधुनिक तकनीकें अपनाने और उत्पादन लागत घटाने के लिए भी बढ़ावा मिलता है।

PLI योजना की प्रासंगिकता/ आवश्यकता
- विनिर्माण को बढ़ावा: यह 2025 तक GDP में विनिर्माण की हिस्सेदारी को 17% से बढ़ाकर 25% करने के लक्ष्य के लिए आवश्यक है।
- रणनीतिक क्षेत्रकों को समर्थन: उदाहरण के लिए- भारत ने 2024 में दूरसंचार संबंधी उत्पादों में लगभग 60% आयात प्रतिस्थापन हासिल कर लिया है।
- अन्य: इससे निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मदद मिलती है आदि।