भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, भारत का कुल निर्यात (वस्तु + सेवाएं) 2024-25 में 824.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह 2023-24 के 778.1 बिलियन डॉलर से 6.01% अधिक है।
- यह उपलब्धि लाल सागर संकट, यूक्रेन युद्ध, पनामा नहर में सूखा, गैर-टैरिफ उपायों में वृद्धि, ऊर्जा की बढ़ती कीमतों आदि के कारण व्यापार में व्यवधानों से उत्पन्न वैश्विक स्तर पर आर्थिक गिरावट के बावजूद भी हासिल की गई है।

इससे संबंधित मुख्य आंकड़े और रुझान
- वस्तु का निर्यात: यह 2023-24 में 437.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कुछ बढ़कर 437.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- सेवा का निर्यात: यह 2024-25 में 387.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह 2023-24 के 341.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 13.6% अधिक है।
निर्यात वृद्धि में बढ़ोतरी करने वाले कारक
- नीतिगत प्रोत्साहन: सरकार ने नई विदेश व्यापार नीति, क्षेत्रक-विशिष्ट योजनाओं, व्यापार हेतु सुविधा, डिस्ट्रिक्ट एज एक्सपोर्ट हब्स इनिशिएटिव और MSMEs को समर्थन के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा दिया है।
- निर्यात बाजारों का विविधीकरण: दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से बढ़ती मांग ने वैश्विक स्तर पर आर्थिक गिरावट के बावजूद भी भारत के निर्यात को बढ़ाया है।
- व्यापार समझौते: विशेष रूप से सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए नए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते किए गए हैं तथा बाजार को खोला एवं बाधाओं को कम किया गया है। जैसे भारत-UAE व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA)।
- आपूर्ति श्रृंखला का पुनर्निर्धारण: चीन-प्लस-वन रणनीति में भारत एक विश्वसनीय विकल्प बन गया है, जो वैश्विक प्रभुत्व वाली कंपनियों को आकर्षित कर रहा है।