दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार को बढ़ाने में लगे हुए हैं। इसमें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भी पीछे नहीं रहा है। RBI द्वारा खरीदारी की वजह से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी 11.70% यानी 879.59 मीट्रिक टन हो गई है।
- भारत के सकल विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign exchange reserves) में निम्नलिखित शामिल हैं:
- RBI के पास विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां,
- RBI के पास सुरक्षित सोना,
- विशेष आहरण अधिकार (SDRs) और
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में रिजर्व पोजीशन।
- कुछ देश IMF में रिजर्व पोजीशन को विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा नहीं मानते, क्योंकि यह तुरंत उपलब्ध नहीं हो सकती।
दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सोना क्यों जमा कर रहे हैं?
- अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए: देशों के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर परिसंपत्ति के अनुपात को कम कर रहे हैं, ताकि भविष्य में डॉलर के संभावित अवमूल्यन से जुड़े खतरों से बचा जा सके।
- मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा: वैश्विक मुद्रास्फीति दरों में वृद्धि देखी जा रही है। इसलिए, विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अपनी मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी के संकट से निपटने के लिए आरक्षित सोने को सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करना चाहती हैं।
- बढ़ते भूराजनीतिक खतरे: संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस जैसी बड़ी शक्तियों के बीच तनाव एवं अनिश्चितता के चलते, सोना फिएट मुद्राओं या सरकारी बॉण्ड की तुलना में बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है।
- फिएट मुद्रा वह सरकारी मुद्रा होती है, जिसका मूल्य सोने या चाँदी जैसी किसी भौतिक संपत्ति के मूल्य से नहीं जुड़ा होता है। फिएट मुद्रा का मूल्य काफी हद तक मुद्रा जारी करने वाली संस्था (देश की सरकार या केंद्रीय बैंक) में जनता के विश्वास पर आधारित होता है।
आरक्षित मुद्रा के रूप में सोना रखने से जुड़े खतरे
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